यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, “यह एपा भर भुना हुआ अनाज और ये दस रोटियाँ लेकर छावनी में अपने भाइयों के पास दौड़ जा; और पनीर की ये दस टिकियाँ उनके सहस्रपति के लिये ले जा। और अपने भाइयों का कुशल देखकर उनकी कोई निशानी ले आना। शाऊल, और तेरे भाई, और समस्त इस्राएली पुरुष एला नामक तराई में पलिश्तियों से लड़ रहे हैं।” अत: दाऊद सबेरे उठ, भेड़ बकरियों को किसी रखवाले के हाथ में छोड़कर, यिशै की आज्ञा के अनुसार उन वस्तुओं को लेकर चला; और जब सेना रणभू्मि को जा रही और संग्राम के लिये ललकार रही थी, उसी समय वह गाड़ियों के पड़ाव पर पहुँचा। तब इस्राएलियों और पलिश्तियों ने अपनी अपनी सेना आमने–सामने करके पाँति बाँधी। दाऊद अपनी सामग्री सामान के रखवाले के हाथ में छोड़कर रणभू्मि को दौड़ा, और अपने भाइयों के पास जाकर उनका कुशल क्षेम पूछा। वह उनके साथ बातें कर ही रहा था, कि पलिश्तियों की पाँतियों में से वह वीर, अर्थात् गतवासी गोलियत नामक वह पलिश्ती योद्धा चढ़ आया, और पहले की सी बातें कहने लगा और दाऊद ने उन्हें सुना। उस पुरुष को देखकर सब इस्राएली अत्यन्त भय खाकर उसके सामने से भागे। फिर इस्राएली पुरुष कहने लगे, “क्या तुम ने उस पुरुष को देखा है जो चढ़ा आ रहा है? निश्चय वह इस्राएलियों को ललकारने को चढ़ा आता है; और जो कोई उसे मार डालेगा उसको राजा बहुत धन देगा, और अपनी बेटी का विवाह उससे कर देगा, और उसके पिता के घराने को इस्राएल में स्वतंत्र कर देगा।” तब दाऊद ने उन पुरुषों से जो उसके आसपास खड़े थे पूछा, “जो उस पलिश्ती को मारके इस्राएलियों की नामधराई दूर करेगा उसके लिये क्या किया जाएगा? वह खतनारहित पलिश्ती क्या है कि जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारे?”
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