क्योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार करके अन्याय से दु:ख उठाता हुआ क्लेश सहता है तो यह सुहावना है। क्योंकि यदि तुम ने अपराध करके घूँसे खाए और धीरज धरा, तो इस में क्या बड़ाई की बात है? पर यदि भला काम करके दु:ख उठाते हो और धीरज धरते हो, तो यह परमेश्वर को भाता है। और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो, क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दु:ख उठाकर तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पद–चिह्नों पर चलो। न तो उसने पाप किया और न उसके मुँह से छल की कोई बात निकली। वह गाली सुनकर गाली नहीं देता था, और दु:ख उठाकर किसी को भी धमकी नहीं देता था, पर अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौंपता था। वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गया, जिससे हम पापों के लिये मरकर धार्मिकता के लिये जीवन बिताएँ : उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए। क्योंकि तुम पहले भटकी हुई भेड़ों के समान थे, पर अब अपने प्राणों के रखवाले और अध्यक्ष के पास लौट आए हो।
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