1 राजाओं 4:20-34

1 राजाओं 4:20-34 HINOVBSI

यहूदा और इस्राएल के लोग बहुत थे; वे समुद्र के तीर पर की बालू के किनकों के समान बहुत थे, और खाते–पीते और आनन्द करते रहे। सुलैमान तो महानद से लेकर पलिश्तियों के देश, और मिस्र की सीमा तक के सब राज्यों के ऊपर प्रभुता करता था और उनके लोग सुलैमान के जीवन भर भेंट लाते, और उसके अधीन रहते थे। सुलैमान की एक दिन की रसोई में इतना उठता था, अर्थात् तीस कोर मैदा, साठ कोर* आटा, दस तैयार किए हुए बैल और चराइयों में से बीस बैल और सौ भेड़–बकरी और इनको छोड़ हरिन, चिकारे, यखमूर और तैयार किए हुए पक्षी। क्योंकि महानद के इस पार के समस्त देश पर अर्थात् तिप्सह से लेकर अज्जा तक जितने राजा थे, उन सभों पर सुलैमान प्रभुता करता, और अपने चारों ओर के सब रहनेवालों से मेल रखता था। दान से बेर्शेबा तक के सब यहूदी और इस्राएली अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले सुलैमान के जीवन भर निडर रहते थे। फिर उसके रथ के घोड़ों के लिये सुलैमान के चालीस हज़ार घुड़साल थे, और उसके बारह हज़ार घुड़सवार थे। और वे भण्डारी अपने अपने महीने में राजा सुलैमान के लिये और जितने उसकी मेज़ पर आते थे, उन सभों के लिये भोजन का प्रबन्ध करते थे, और किसी वस्तु की घटी होने नहीं पाती थी। घोड़ों और वेग चलनेवाले घोड़ों के लिये जौ और पुआल जहाँ प्रयोजन होता था वहाँ आज्ञा के अनुसार एक एक जन पहुँचाया करता था। परमेश्‍वर ने सुलैमान को बुद्धि दी, और उसकी समझ बहुत ही बढ़ाई, और उसके हृदय में समुद्र तट की बालू के किनकों के तुल्य अनगिनित गुण दिए। और सुलैमान की बुद्धि पूर्व देश के सब निवासियों और मिस्रियों की भी बुद्धि से बढ़कर बुद्धि थी। वह तो और सब मनुष्यों से वरन् एतान एज्रेही और हेमान, और माहोल के पुत्र कलकोल और दर्दा से भी अधिक बुद्धिमान था : और उसकी कीर्ति चारों ओर की सब जातियों में फैल गई। उसने तीन हज़ार नीतिवचन कहे, और उसके एक हज़ार पाँच गीत भी हैं। फिर उसने लबानोन के देवदारुओं से लेकर भीत में से उगते हुए जूफा तक के सब पेड़ों की चर्चा की और पशुओं, पक्षियों और रेंगनेवाले जन्तुओं और मछलियों की चर्चा की। और देश देश के लोग पृथ्वी के सब राजाओं की ओर से जिन्होंने सुलैमान की बुद्धि की कीर्ति सुनी थी, उसकी बुद्धि की बातें सुनने को आया करते थे।