1 राजाओं 22:17-28

1 राजाओं 22:17-28 HINOVBSI

मीकायाह ने कहा, “मुझे समस्त इस्राएल बिना चरवाहे की भेड़–बकरियों के समान पहाड़ों पर, तित्तर बित्तर देख पड़ा, और यहोवा का यह वचन आया, ‘वे तो अनाथ हैं; अतएव वे अपने अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएँ।’ ” तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, “क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं हानि ही की भविष्यद्वाणी करेगा।” मीकायाह ने कहा, “इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन! मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके पास दाहिने बाँयें खड़ी हुई स्वर्ग की समस्त सेना दिखाई दी है। तब यहोवा ने पूछा, ‘अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करके खेत आए?’ तब किसी ने कुछ, और किसी ने कुछ कहा। अन्त में एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, ‘मैं उसको बहकाऊँगी’ : यहोवा ने पूछा, ‘किस उपाय से?’ उसने कहा, ‘मैं जाकर उसके सब भविष्यद्वक्‍ताओं में पैठकर उनसे झूठ बुलवाऊँगी।’ यहोवा ने कहा, ‘तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जाकर ऐसा ही कर।’ तो अब सुन यहोवा ने तेरे इन सब भविष्यद्वक्‍ताओं के मुँह में एक झूठ बोलनेवाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही है।” तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने मीकायाह के निकट जा, उसके गाल पर थप्पड़ मारकर पूछा, “यहोवा का आत्मा मुझे छोड़कर तुझ से बातें करने को किधर गया?” मीकायाह ने कहा, “जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भागेगा, तब तुझे ज्ञात होगा।” तब इस्राएल के राजा ने कहा, “मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और योआश राजकुमार के पास ले जा; और उनसे कह, ‘राजा यों कहता है कि इसको बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊँ, तब तक इसे दु:ख की रोटी और पानी दिया करो।’ ” और मीकायाह ने कहा, “यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा।” फिर उसने कहा, “हे लोगो, तुम सब के सब सुन लो।”

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