जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है; और जो कोई उत्पन्न करनेवाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता हैं जो उससे उत्पन्न हुआ है। जब हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं और उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, तो इसी से हम जानते हैं कि हम परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम रखते हैं। क्योंकि परमेश्वर से प्रेम रखना यह है कि हम उसकी आज्ञाओं को मानें; और उसकी आज्ञाएँ कठिन नहीं। क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है; और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है। संसार पर जय पानेवाला कौन है? केवल वह जिसका यह विश्वास है कि यीशु, परमेश्वर का पुत्र है। यही है वह जो पानी और लहू के द्वारा आया था, अर्थात् यीशु मसीह : वह न केवल पानी के द्वारा वरन् पानी और लहू दोनों के द्वारा आया था। और जो गवाही देता है, वह आत्मा है; क्योंकि आत्मा सत्य है। गवाही देनेवाले तीन हैं, आत्मा, और पानी, और लहू; और तीनों एक ही बात पर सहमत हैं। जब हम मनुष्यों की गवाही मान लेते हैं, तो परमेश्वर की गवाही तो उससे बढ़कर है; और परमेश्वर की गवाही यह है कि उसने अपने पुत्र के विषय में गवाही दी है। जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है वह अपने ही में गवाही रखता है। जिसने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया उसने उसे झूठा ठहराया, क्योंकि उसने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। और वह गवाही यह है कि परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है, और यह जीवन उसके पुत्र में है। जिसके पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है।
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