फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं, परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होनेवाले हाकिमों का ज्ञान नहीं; परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि वे जानते तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। परन्तु जैसा लिखा है, “जो बातें आँख ने नहीं देखीं और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।” परन्तु परमेश्वर ने उनको अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया, क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन् परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जाँचता है। मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उसमें है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा। परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है जो परमेश्वर की ओर से है कि हम उन बातों को जानें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। जिनको हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं। परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है। आत्मिक जन सब कुछ जाँचता है, परन्तु वह आप किसी से जाँचा नहीं जाता। “क्योंकि प्रभु का मन किसने जाना है कि उसे सिखाए?” परन्तु हम में मसीह का मन है।
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