1 इतिहास 29:1-9

1 इतिहास 29:1-9 HINOVBSI

फिर राजा दाऊद ने सारी सभा से कहा, “मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार लड़का है, और केवल उसी को परमेश्‍वर ने चुना है; काम तो भारी है, क्योंकि यह भवन मनुष्य के लिये नहीं, यहोवा परमेश्‍वर के लिये बनेगा। मैं ने तो अपनी शक्‍ति भर, अपने परमेश्‍वर के भवन के निमित्त सोने की वस्तुओं के लिये सोना, चाँदी की वस्तुओं के लिये चाँदी, पीतल की वस्तुओं के लिये पीतल, लोहे की वस्तुओं के लिये लोहा, और लकड़ी की वस्तुओं के लिये लकड़ी, और सुलैमानी पत्थर, और जड़ने के योग्य मणि, और पच्‍चीकारी के काम के लिये भिन्न–भिन्न रंगों के नग, और सब भाँति के मणि और बहुत सा संगमर्मर इकट्ठा किया है। फिर मेरा मन अपने परमेश्‍वर के भवन में लगा है, इस कारण जो कुछ मैं ने पवित्र भवन के लिये इकट्ठा किया है, उस सबसे अधिक मैं अपना निज धन भी जो सोना चाँदी के रूप में मेरे पास है, अपने परमेश्‍वर के भवन के लिये दे देता हूँ। अर्थात् तीन हज़ार किक्‍कार ओपीर का सोना, और सात हज़ार किक्‍कार तायी हुई चाँदी, जिससे कोठरियों की दीवारें मढ़ी जाएँ। और सोने की वस्तुओं के लिये सोना, और चाँदी की वस्तुओं के लिये चाँदी, और कारीगरों से बनानेवाले सब प्रकार के काम के लिये मैं उसे देता हूँ। अब कौन अपनी इच्छा से यहोवा के लिये अपने को अर्पित कर देता है?” तब पितरों के घरानों के प्रधानों और इस्राएल के गोत्रों के हाकिमों, और सहस्रपतियों और शतपतियों, और राजा के काम के अधिकारियों ने अपनी अपनी इच्छा से, परमेश्‍वर के भवन के काम के लिये पाँच हज़ार किक्‍कार और दस हज़ार दर्कमोन सोना, दस हज़ार किक्‍कार चाँदी, अठारह हज़ार किक्‍कार पीतल, और एक लाख किक्‍कार लोहा दे दिया। जिनके पास मणि थे, उन्होंने उन्हें यहोवा के भवन के खजाने के लिये गेर्शोनी यहीएल के हाथ में दे दिया। तब प्रजा के लोग आनन्दित हुए, क्योंकि हाकिमों ने प्रसन्न होकर खरे मन और अपनी अपनी इच्छा से यहोवा के लिये भेंट दी थी; और दाऊद राजा बहुत ही अनन्दित हुआ।