1 इतिहास 21:1-17

1 इतिहास 21:1-17 HINOVBSI

शैतान ने इस्राएल के विरुद्ध उठकर, दाऊद को उकसाया कि इस्राएलियों की गिनती ले। तब दाऊद ने योआब और प्रजा के हाकिमों से कहा, “तुम जाकर बेर्शेबा से ले दान तक इस्राएलियों की गिनती लेकर मुझे बताओ, कि मैं जान लूँ कि वे कितने हैं।” योआब ने कहा, “यहोवा की प्रजा कितनी ही क्यों न हो, वह उसको सौ गुना बढ़ा दे; परन्तु हे मेरे प्रभु! हे राजा! क्या वे सब राजा के अधीन नहीं हैं? मेरा प्रभु ऐसी बात क्यों चाहता है? वह इस्राएल पर दोष लगने का कारण क्यों बने?” तौभी राजा की आज्ञा योआब पर प्रबल हुई। तब योआब विदा होकर सारे इस्राएल में घूमकर यरूशलेम को लौट आया। तब योआब ने प्रजा की गिनती का जोड़, दाऊद को सुनाया और सब तलवार चलानेवाले पुरुष इस्राएल के तो ग्यारह लाख, और यहूदा के चार लाख सत्तर हज़ार ठहरे। परन्तु इनमें योआब ने लेवी और बिन्यामीन को न गिना, क्योंकि वह राजा की आज्ञा से घृणा करता था। यह बात परमेश्‍वर को बुरी लगी, इसलिये उसने इस्राएल को मारा। दाऊद ने परमेश्‍वर से कहा, “यह काम जो मैं ने किया, वह महापाप है। परन्तु अब अपने दास का अधर्म दूर कर; मुझ से तो बड़ी मूर्खता हुई है।” तब यहोवा ने दाऊद के दर्शी गाद से कहा, “जाकर दाऊद से कह, ‘यहोवा यों कहता है कि मैं तुझ को तीन विपत्तियाँ दिखाता हूँ, उनमें से एक को चुन ले कि मैं उसे तुझ पर डालूँ।” तब गाद ने दाऊद के पास जाकर उससे कहा, “यहोवा यों कहता है कि जिसको तू चाहे उसे चुन ले : या तो तीन वर्ष का अकाल पड़े; या तीन महीने तक तेरे विरोधी तुझे नष्‍ट करते रहें, और तेरे शत्रुओं की तलवार तुझ पर चलती रहे; या तीन दिन तक यहोवा की तलवार चले, अर्थात् मरी देश में फैले और यहोवा का दूत इस्राएली देश में चारों ओर विनाश करता रहे। अब सोच कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या उत्तर दूँ।” दाऊद ने गाद से कहा, “मैं बड़े संकट में पड़ा हूँ; मैं यहोवा के हाथ में पड़ूँ, क्योंकि उसकी दया बहुत बड़ी है; परन्तु मनुष्य के हाथ में मुझे पड़ना न पड़े।” तब यहोवा ने इस्राएल में मरी फैलाई, और इस्राएल में सत्तर हज़ार पुरुष मर मिटे। फिर परमेश्‍वर ने एक दूत यरूशलेम को भी उसका नाश करने को भेजा, और वह नाश करने ही पर था कि यहोवा दु:ख देने से खेदित हुआ, और नाश करनेवाले दूत से कहा, “बस कर; अब अपना हाथ खींच ले।” उस समय यहोवा का दूत यबूसी ओर्नान के खलिहान के पास खड़ा था। दाऊद ने आँखें उठाकर देखा कि यहोवा का दूत हाथ में खींची हुई और यरूशलेम के ऊपर बढ़ाई हुई एक तलवार लिये हुए आकाश के बीच खड़ा है, तब दाऊद और पुरनिये टाट पहिने हुए मुँह के बल गिरे। तब दाऊद ने परमेश्‍वर से कहा, “जिसने प्रजा की गिनती लेने की आज्ञा दी थी, वह क्या मैं नहीं हूँ? हाँ, जिसने पाप किया और बहुत बुराई की है, वह तो मैं ही हूँ। परन्तु इन भेड़–बकरियों ने क्या किया है? इसलिये हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा! तेरा हाथ मेरे पिता के घराने के विरुद्ध हो, परन्तु तेरी प्रजा के विरुद्ध न हो, कि वे मारे जाएँ।”