तुम ऐसी बातें सिखाओ, जो हितकारी शिक्षा के अनुकूल हों। वृद्धों को समझाओ कि उन्हें संयमी, गम्भीर एवं समझदार होना चाहिए और विश्वास, भ्रातृ-प्रेम एवं धैर्य में परिपक्व। इसी प्रकार वृद्धाओं का आचरण प्रभु-भक्तों के अनुरूप हो। वे किसी की झूठी निन्दा न करें और न मदिरा की व्यसनी हों। वे अपने सदाचरण द्वारा तरुण स्त्रियों को ऐसी शिक्षा दें कि वे अपने पति और अपने बच्चों को प्यार करें, समझदार, शुद्ध और सुशील हों, अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करें और अपने पति के अधीन रहें, जिससे लोग परमेश्वर के शुभ-संदेश की निन्दा न कर सकें।
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