श्रेष्‍ठ गीत 7:1-4

श्रेष्‍ठ गीत 7:1-4 HINCLBSI

‘ओ राजकुमारी, चप्‍पल पहिने हुए तेरे चरण कितने सुन्‍दर प्रतीत होते हैं। तेरे जांघों की गोलाई निपुण कारीगरों के हाथों काढ़े गए रत्‍नों के सदृश है। तेरी नाभि गोल चषक है, जो मिश्रित शराब से कभी खाली नहीं होता। तेरा उदर गेहूं का ढेर है, जिसके चारों ओर सोसन पुष्‍पों की कतार है। तेरे दोनों उरोज मानो दो मृग-शावक हैं, हरिणी के जुड़वा बच्‍चे हैं। तेरी सुराईदार गरदन जैसे हाथीदांत की मीनार है। तेरी आंखें हेशबोन के उन तड़ागों जैसी हैं जो बेत-रब्‍बीम के प्रवेश-द्वार पर हैं। तेरी नाक लबानोन की मीनार है, जो दमिश्‍क नगर की ओर उन्‍मुख है।