नाओमी ने फिर कहा, ‘देख, तेरी जेठानी अपने लोगों के पास, अपने देवताओं के पास लौट गई है। अब तू भी अपनी जेठानी के पीछे-पीछे लौट जा।’ रूत ने कहा, ‘आप मुझसे विनती मत कीजिए कि मैं आपको छोड़ दूँ, आपके पीछे-पीछे न आऊं और लौट जाऊं। जहाँ-जहाँ आप जाएँगी, वहाँ-वहाँ मैं भी जाऊंगी। जहाँ आप रहेंगी, वहाँ मैं भी रहूँगी। आपके लोग, मेरे लोग होंगे। आपका परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा। जहाँ आप अन्तिम सांस लेंगी, वहाँ मैं भी मरकर दफन हूँगी। यदि मृत्यु भी हमें एक-दूसरे से अलग करे तो प्रभु मेरे साथ कठोर व्यवहार करे, नहीं, उससे भी अधिक बुरा व्यवहार करे।’ जब नाओमी ने देखा कि रूत उसके साथ जाने के अपने निश्चय पर दृढ़ है, तब वह और कुछ न बोली। वे दोनों चलते-चलते बेतलेहम नगर में आईं। जब उन्होंने बेतलेहम नगर में प्रवेश किया तब उनके कारण पूरे नगर में हलचल मच गई। स्त्रियों ने पूछा, ‘क्या यह नाओमी है?’ नाओमी ने उनसे कहा, ‘कृपाकर, अब मुझे “नाओमी” मत कहो, बल्कि मुझे “मारा” कहो; क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु ने मुझे बहुत दु:ख दिया है। मैं हरी-भरी गृहस्थी के साथ परदेश गई थी, पर प्रभु मुझे खाली हाथ स्वदेश लौटा लाया। जब प्रभु ने ही मुझे दुखिया बनाया है; सर्वशक्तिमान प्रभु ने मुझ पर विपत्ति ढाही है, तब क्यों तुम मुझे नाओमी कहती हो?’
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