रोमियों 6:12-23

रोमियों 6:12-23 HINCLBSI

अब आप लोग अपने मरणशील शरीर में पाप का राज्‍य स्‍वीकार नहीं करें और उसकी वासनाओं के अधीन नहीं रहें। आप अपने अंगों को अधर्म के साधन बनने के लिए पाप को अर्पित नहीं करें। आप अपने को मृतकों में से पुनर्जीवित समझकर परमेश्‍वर के प्रति अर्पित करें और अपने अंगों को धार्मिकता के साधन बनने के लिए परमेश्‍वर को सौंप दें। आप लोगों पर पाप का कोई अधिकार नहीं रहेगा। अब आप व्‍यवस्‍था के नहीं, बल्‍कि अनुग्रह के अधीन हैं। तो, क्‍या हम इसलिए पाप करें कि हम व्‍यवस्‍था के नहीं, बल्‍कि अनुग्रह के अधीन हैं? कदापि नहीं! क्‍या आप यह नहीं समझते कि आप अपने को आज्ञाकारी दास के रूप में जिसके प्रति अर्पित करते हैं और जिसकी आज्ञा का पालन करते हैं, आप उसी के दास बन जाते हैं? यह दासता चाहे पाप की हो, जिसका परिणाम मृत्‍यु है; चाहे परमेश्‍वर की हो, जिसके आज्ञापालन का परिणाम धार्मिकता है। परमेश्‍वर को धन्‍यवाद कि आप लोग, जो पहले पाप के दास थे, अब सम्‍पूर्ण हृदय से उस मानक शिक्षा के मार्ग पर चलने लगे, जो अनुगमन के लिए आपको दी गयी है। आप पाप से मुक्‍त हो कर धार्मिकता के दास बन गये हैं। मैं आपकी मानवीय दुर्बलता के कारण साधारण मानव जीवन का उदाहरण दे रहा हूँ। आप लोगों ने जिस तरह पहले अपने शरीर को अशुद्धता और अधर्म के अधीन किया था, जिससे वह दूषित हो गया था, उसी तरह अब आप अपने शरीर को धार्मिकता के अधीन कर दीजिए, जिससे वह पवित्र हो जाये। क्‍योंकि जब आप पाप के दास थे, तो धार्मिकता के नियन्‍त्रण से मुक्‍त थे। उस समय आप को उन कर्मों से क्‍या लाभ हुआ? अब उनके कारण आप को लज्‍जा होती है; क्‍योंकि उनका परिणाम मृत्‍यु है। किन्‍तु अब पाप से मुक्‍त हो कर आप परमेश्‍वर के दास बन गये और पवित्रता का फल उत्‍पन्न कर रहे हैं, जिसका परिणाम है शाश्‍वत जीवन; क्‍योंकि पाप का वेतन मृत्‍यु है, किन्‍तु परमेश्‍वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्‍वत जीवन।

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