रोमियों 5:1-21

रोमियों 5:1-21 HINCLBSI

यदि हम विश्‍वास के कारण धार्मिक ठहराए गए हैं, तो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा परमेश्‍वर में शान्‍ति प्राप्‍त होती है। मसीह ने हमारे लिए उस अनुग्रह तक पहुँचने का द्वार भी खोला है, जो हमें विश्‍वास से प्राप्‍त होता है और जिसमें हम स्‍थित हैं। हम इस बात पर गौरव करते हैं कि हमें परमेश्‍वर की महिमा के भागी बनने की आशा है। इतना ही नहीं, हम दु:ख-तकलीफ पर भी गौरव करें, क्‍योंकि हम जानते हैं कि दु:ख-तकलीफ से धैर्य, धैर्य से सच्‍चरित्रता और सच्‍चरित्रता से आशा उत्‍पन्न होती है। आशा व्‍यर्थ नहीं होती, क्‍योंकि परमेश्‍वर ने हमें पवित्र आत्‍मा प्रदान किया है और उसके द्वारा परमेश्‍वर का प्रेम ही हमारे हृदय में उंडेला गया है। जब हम निस्‍सहाय थे, तभी निर्धारित समय पर मसीह हम अधर्मियों के लिए मरे। धार्मिक मनुष्‍य के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्‍य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाये, किन्‍तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मरे। इससे परमेश्‍वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है। यदि हम मसीह के रक्‍त के कारण धार्मिक ठहराए गये, तो हम निश्‍चय ही मसीह द्वारा परमेश्‍वर के प्रकोप से बच जायेंगे। हम शत्रु ही थे, जब परमेश्‍वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्‍यु द्वारा हो गया था; और परमेश्‍वर के साथ मेल हो जाने के बाद उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्‍चय ही हमारा उद्धार होगा। इतना ही नहीं, अब तो हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा परमेश्‍वर से हमारा मेल हो गया है; इसलिए हम उन्‍हीं के द्वारा परमेश्‍वर पर भरोसा रख कर गौरव करते हैं। यह बात विचारणीय है कि एक ही मनुष्‍य द्वारा संसार में पाप का प्रवेश हुआ और पाप द्वारा मृत्‍यु का। इस प्रकार मृत्‍यु सब मनुष्‍यों में फैल गयी, क्‍योंकि सब पापी हैं। मूसा की व्‍यवस्‍था से पहले संसार में पाप था; किन्‍तु व्‍यवस्‍था के अभाव में पाप का लेखा नहीं रखा जाता है। फिर भी आदम से लेकर मूसा तक मृत्‍यु उन लोगों पर भी राज्‍य करती रही, जिन्‍होंने आदम की तरह किसी आज्ञा के उल्‍लंघन द्वारा पाप नहीं किया था। आदम उस व्यक्‍ति का प्रतीक था, जो आनेवाला था। फिर भी आदम के अपराध तथा परमेश्‍वर के वरदान में कोई तुलना नहीं है। यह सच है, कि एक ही मनुष्‍य के अपराध के कारण सब लोग मरे; किन्‍तु इस परिणाम से कहीं अधिक महान है परमेश्‍वर का अनुग्रह और वह अनुग्रहपूर्ण वरदान, जो एक ही मनुष्‍य−येशु मसीह−द्वारा सब को मिला। एक मनुष्‍य के अपराध तथा परमेश्‍वर के वरदान में कोई तुलना नहीं है। एक के अपराध के फलस्‍वरूप दण्‍डाज्ञा तो दी गयी, किन्‍तु बहुत-से अपराधों के बाद जो वरदान दिया गया, उसके द्वारा पाप से मुक्‍ति मिल गयी है। यह सच है कि मृत्‍यु का राज्‍य एक मनुष्‍य के अपराध के फलस्‍वरूप—एक ही के द्वारा—प्रारम्‍भ हुआ, किन्‍तु इस परिणाम से कहीं अधिक जिन लोगों को परमेश्‍वर का अनुग्रह तथा धार्मिकता का वरदान प्रचुर मात्रा में मिलेगा, वे एक ही मनुष्‍य—येशु मसीह के द्वारा—जीवन का राज्‍य प्राप्‍त करेंगे। इस प्रकार हम देखते हैं कि जिस तरह एक ही मनुष्‍य के अपराध के फलस्‍वरूप सब को दण्‍डाज्ञा मिली, उसी तरह एक ही मनुष्‍य के धार्मिक कार्य के फलस्‍वरूप सब को पापमुक्‍ति और जीवन मिला। जिस तरह एक ही मनुष्‍य के आज्ञाभंग के कारण सब पापी ठहराये गये, उसी तरह एक ही मनुष्‍य के आज्ञापालन के कारण सब धार्मिक ठहराये जायेंगे। बाद में व्‍यवस्‍था दी गयी और इस से अपराधों की संख्‍या बढ़ गयी। किन्‍तु जहाँ पाप की वृद्धि हुई, वहाँ अनुग्रह की उससे कहीं अधिक वृद्धि हुई। इस प्रकार पाप, मृत्‍यु के माध्‍यम से, राज्‍य करता रहा; किन्‍तु हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा अनुग्रह, धार्मिकता के माध्‍यम से, अपना राज्‍य स्‍थापित करेगा और हमें शाश्‍वत जीवन में ले जायेगा।

Video for रोमियों 5:1-21