रोमियों 15:1-7

रोमियों 15:1-7 HINCLBSI

हम लोगों को, जो समर्थ हैं, अपनी सुख-सुविधा का नहीं, बल्‍कि दुर्बलों की कमजोरियों का ध्‍यान रखना चाहिए। हम में प्रत्‍येक को अपने पड़ोसी की भलाई तथा चरित्र-निर्माण के लिए उसकी सुख-सुविधा का ध्‍यान रखना चाहिए। मसीह ने भी अपने सुख का ध्‍यान नहीं रखा। जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है, “तेरी निन्‍दा करने वालों ने मेरी निन्‍दा की है।” धर्मग्रन्‍थ में जो कुछ पहले लिखा गया था, वह हमारी शिक्षा के लिए लिखा गया था, ताकि हमें उस से धैर्य तथा सांत्‍वना मिलती रहे और इस प्रकार हम अपनी आशा बनाये रख सकें। परमेश्‍वर ही धैर्य तथा सांत्‍वना का स्रोत है। वह आप लोगों को यह वरदान दे कि आप येशु मसीह की शिक्षा के अनुसार आपस में मेल-मिलाप का भाव बनाए रखें, जिससे आप सब मिलकर एक स्‍वर से हमारे प्रभु येशु मसीह के पिता, परमेश्‍वर की स्‍तुति करते रहें। जिस प्रकार मसीह ने हमें परमेश्‍वर की महिमा के लिए अपनाया, उसी प्रकार आप एक-दूसरे को भ्रातृभाव से अपनायें।