तुम कहोगे, “डालियाँ इसलिए काट कर अलग कर दी गयीं कि मुझे कलम लगाया जाये।” ठीक है, वे अविश्वास के कारण काट कर अलग कर दिये गये और तुम विश्वास के बल पर अपने स्थान पर बने हुए हो। अतएव घमण्ड न करो, वरन् सावधान रहो। यदि परमेश्वर ने मूल डालियों पर दया नहीं की, तो वह तुम पर भी दया नहीं करेगा। परमेश्वर की दयालुता और कठोरता, दोनों पर विचार करो: पतित लोगों के प्रति उसकी कठोरता है और तुम्हारे प्रति उसकी ईश्वरीय दयालुता। शर्त यह है कि तुम उसकी दयालुता के योग्य बने रहो। नहीं तो तुम भी काट कर अलग कर दिये जाओगे। दूसरी ओर, यदि वे अपने अविश्वास में बने नहीं रहेंगे, तो वे भी कलम लगाये जायेंगे; क्योंकि परमेश्वर उन्हें फिर कलम लगाने में समर्थ है। यदि तुम प्रकृति से जंगली जैतून की डालियाँ हो और उस से कट कर अपनी प्रकृति के विरुद्ध असली जैतून में कलम लगाये गये हो, तो वे कहीं अधिक सुगमता से अपनी प्रकृति के अनुकूल अपने निजी जैतून में कलम लगाये जा सकेंगे। भाइयो और बहिनो! कहीं ऐसा न हो कि आप अपने को बहुत बुद्धिमान समझ बैठें। इसलिए मैं आप लोगों पर यह रहस्य प्रकट करना चाहता हूँ—इस्राएल का एक भाग तब तक अन्धा बना रहेगा, जब तक गैर-यहूदियों की पूरी जनसंख्या का प्रवेश न हो जाये। ऐसा हो जाने पर सम्पूर्ण इस्राएल को मुक्ति प्राप्त होगी। जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “सियोन में मुक्तिदाता का आगमन होगा और वह याकूब से अधर्म को दूर कर देगा। जब मैं उनके पाप हर लूँगा, तो यह उनके लिए मेरा विधान होगा।” शुभ समाचार की दृष्टि से, वे तो आप गैर-यहूदियों के कारण परमेश्वर के शत्रु हैं; किन्तु निर्वाचन की दृष्टि से, वे पूर्वजों के कारण परमेश्वर के कृपापात्र हैं; क्योंकि परमेश्वर न तो अपने वरदान वापस लेता और न अपना आह्वान टाल देता है। जिस तरह आप लोग पहले परमेश्वर की अवज्ञा करते थे और अब, यहूदियों की अवज्ञा के कारण, परमेश्वर के कृपापात्र बन गए हैं, उसी तरह उन्होंने अब परमेश्वर की अवज्ञा की, ताकि आपके कृपापात्र बनने के कारण वे भी दया प्राप्त करें। परमेश्वर ने सब को अवज्ञा के पाप में फँसने दिया, क्योंकि वह सब पर दया दिखाना चाहता था। अहा! कितना अगाध है परमेश्वर का वैभव, बुद्धि और ज्ञान! कितने दुर्बोध हैं उसके निर्णय! कितने रहस्यमय हैं उसके मार्ग! जैसा धर्मग्रंथ में कहा गया, “प्रभु का मन कौन जान सका? उसका परामर्शदाता कौन हुआ? किसने परमेश्वर को कभी कुछ दिया है, जो वह बदले में कुछ पाने का दावा कर सके?” सब कुछ परमेश्वर से, परमेश्वर के द्वारा तथा परमेश्वर के लिए है। उसी की युगयुगों तक महिमा हो! आमेन!
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