प्रकाशन 21:1-4

प्रकाशन 21:1-4 HINCLBSI

तब मैंने एक नया आकाश और एक नयी पृथ्‍वी देखी। पुराना आकाश तथा पुरानी पृथ्‍वी, दोनो लुप्‍त हो गये थे और समुद्र भी नहीं रह गया था। मैंने पवित्र नगरी, नवीन यरूशलेम को परमेश्‍वर के यहाँ से आकाश में उतरते देखा। वह अपने दूल्‍हे के लिए सजायी हुई दुलहन की तरह अलंकृत थी। तब मुझे सिंहासन से एक गम्‍भीर वाणी यह कहते सुनाई पड़ी, “देखो, यह है मनुष्‍यों के बीच परमेश्‍वर का निवास! वह उनके बीच निवास करेगा। वे उसकी प्रजा होंगे और परमेश्‍वर स्‍वयं उनके बीच रह कर उनका अपना परमेश्‍वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा। इसके बाद न मृत्‍यु रहेगी, न शोक, न विलाप और न दु:ख, क्‍योंकि पुरानी बातें बीत चुकी हैं।”