प्रकाशन 20:7-15

प्रकाशन 20:7-15 HINCLBSI

एक हजार वर्ष पूरे हो जाने के बाद शैतान बन्‍दीगृह से छोड़ दिया जायेगा और वह पृथ्‍वी के चार कोनों में बसने वाले राष्‍ट्रों को बहकाने के लिए और गोग एवं मागोग की सेनाओं को, जो समुद्र के बालू-कणों की तरह असंख्‍य हैं, युद्ध के लिए एकत्र करने निकलेगा। वे सारी पृथ्‍वी पर फैल गये। उन्‍होंने सन्‍तों के शिविर और परमेश्‍वर के प्रिय नगर को घेर लिया, लेकिन आग आकाश से उतरी और उसने उन्‍हें भस्‍म कर दिया। उन्‍हें बहकाने वाले शैतान को आग और गन्‍धक के कुण्‍ड में डाल दिया गया, जहाँ पशु और झूठा नबी डाल दिये गये थे। वे युग-युगों तक दिन रात यन्‍त्रणा भोगेंगे। इसके बाद मैंने एक विशाल श्‍वेत सिंहासन और उस पर विराजमान व्यक्‍ति को देखा। पृथ्‍वी और आकाश उसके सामने लुप्‍त हो गये और उनका कहीं भी पता नहीं चला। मैंने छोटे-बड़े, सब मृतकों को सिंहासन के सामने खड़ा देखा। पुस्‍तकें खोली गयीं। तब एक अन्‍य पुस्‍तक-अर्थात जीवन-ग्रन्‍थ खोला गया। पुस्‍तकों में लिखी हुई बातों के आधार पर मृतकों का उनके कर्मों के अनुसार न्‍याय किया गया। समुद्र ने अपने मृतकों को प्रस्‍तुत किया। तब मृत्‍यु तथा अधोलोक ने अपने मृतकों को प्रस्‍तुत किया। हर एक का उसके कर्मों के अनुसार न्‍याय किया गया। इसके बाद मृत्‍यु और अधोलोक, दोनों को अग्‍निकुण्‍ड में डाल दिया गया। यह अग्‍निकुण्‍ड द्वितीय मृत्‍यु है। जिसका नाम जीवन-ग्रन्‍थ में लिखा हुआ नहीं मिला, वह अग्‍निकुण्‍ड में डाल दिया गया।