प्रकाशन 1:12-18

प्रकाशन 1:12-18 HINCLBSI

मुझ से कौन बोल रहा है, उसे देखने के लिए मैं मुड़ गया और मुड़ कर मैंने सोने के सात दीपाधार देखे, और उनके बीच में मानव पुत्र-जैसे एक व्यक्‍ति को। वह पैरों तक लम्‍बा वस्‍त्र पहने था और उसके वक्षस्‍थल पर स्‍वर्ण मेखला बाँधी हुई थी। उसके सिर के बाल हिम-श्‍वेत ऊन की तरह उजले थे और उसकी आँखें अग्‍नि की तरह धधक रही थीं। उसके पैर भट्टी में तपाए हुए पीतल की तरह चमक रहे थे और उसकी वाणी समुद्र की तरह गर्जन कर रही थी। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे धारण किये था। उसके मुख से एक तेज दुधारी तलवार निकल रही थी और उसका मुखमण्‍डल मध्‍याह्‍न के सूर्य की तरह चमक रहा था। मैं उसे देखते ही मृतक-जैसा उसके चरणों पर गिर पड़ा। उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रख कर कहा, “मत डरो। प्रथम और अन्‍तिम मैं हूँ। जीवन का स्रोत मैं हूँ। मैं मर गया था और देखो, मैं युगानुयुग तक जीवित रहूँगा। मृत्‍यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे पास हैं।

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