भजन संहिता 90:1-6

भजन संहिता 90:1-6 HINCLBSI

हे स्‍वामी, तू पीढ़ी से पीढ़ी हमारे लिए आश्रय-स्‍थल बना हुआ है। पर्वतों के उत्‍पन्न होने के पहिले, तेरे द्वारा संसार की सृष्‍टि होने के पूर्व, युग-युगान्‍त से तू ही परमेश्‍वर है। तू मनुष्‍य को मिट्टी में लौटा देता है; तू यह कहता है, “ओ मानव-पुत्र, लौट जा!” तेरी दृष्‍टि में हजार वर्ष भी बीते कल के समान हैं, वे रात के एक पहर के सदृश हैं। तू मनुष्‍यों को बहा ले जाता है; वे मानो स्‍वप्‍न हैं, वे घास के सदृश हैं जो प्रात: काल लहलहाती है: वह प्रात: काल फूलती और लहलहाती है, किन्‍तु संध्‍या को मुर्झाकर सूख जाती है।