भजन संहिता 78:1-14

भजन संहिता 78:1-14 HINCLBSI

हे मेरे लोगो, मेरी शिक्षा पर कान दो; मेरे वचनों पर ध्‍यान दो। मैं अपना मुंह दृष्‍टांन्‍त के लिए खोलूंगा; मैं प्राचीन काल की पहेलियां बुझाऊंगा, जिन्‍हें हमने सुना और समझा है, और हमारे पूर्वजों ने हमें बताया है। प्रभु की स्‍तुति और सामर्थ्य, और उसके महान कार्य जो उसने किए, हम उनकी सन्‍तान से नहीं छिपाएंगे, वरन् आगामी पीढ़ी को बताएंगे। प्रभु ने याकूब में साक्षी स्‍थापित की है, और इस्राएल में व्‍यवस्‍था नियुक्‍त की है। उसने हमारे पूर्वजों को आज्ञा दी थी कि वे अपनी सन्‍तान को ये बातें सिखाएं, जिससे आगामी पीढ़ी, भविष्‍य में उत्‍पन्न होने वाली सन्‍तान भी जान ले और तत्‍पर होकर अपने पुत्र-पुत्रियों को बताए; यह इसलिए हुआ कि वे परमेश्‍वर पर आशा रखें; और परमेश्‍वर के कार्यों को न भूलें, किन्‍तु उसकी आज्ञाओं का पालन करतें रहें; और अपने पूर्वजों जैसे, हठीली और विद्रोही पीढ़ी न बनें; ऐसी पीढ़ी जिसका हृदय स्‍थिर न था, जिसकी आत्‍मा परमेश्‍वर के प्रति सच्‍ची न थी। एफ्रइम के वंशज धनुष से सशस्‍त्र होने पर भी युद्ध के समय भाग गए थे। उन्‍होंने परमेश्‍वर के विधान का पालन नहीं किया और उसकी व्‍यवस्‍था पर चलना अस्‍वीकार कर दिया। वे उसके व्‍यवहार को, आश्‍चर्यपूर्ण कर्मों को, जिन्‍हें उसने संपन्न किए थे, भुला बैठे। उनके पूर्वजों के सामने, मिस्र देश में सोअन की भूमि पर परमेश्‍वर ने अद्भुत कार्य किए थे। परमेश्‍वर ने सागर को विभाजित कर उन्‍हें पार कराया, और जल को ढेर के सदृश खड़ा कर दिया था। उसने दिन के समय मेघों से और रात को अग्‍नि के प्रकाश द्वारा उनका नेतृत्‍व किया था।