भजन संहिता 72:1-14

भजन संहिता 72:1-14 HINCLBSI

हे परमेश्‍वर, राजा को अपना न्‍याय, राजपुत्र को अपनी धार्मिकता प्रदान कर कि वह तेरी प्रजा का धार्मिकता से शासन करे, तेरे पीड़ित लोगों का निष्‍पक्षता से न्‍याय करे। पहाड़ और पहाड़ियां धार्मिकता के द्वारा लोगों को समृद्ध बनाएं। वह प्रजा के पीड़ित लोगों का न्‍याय करे; वह दरिद्र की सन्‍तान की रक्षा करे, और अत्‍याचारियों का दमन करे। जब तक सूर्य और चन्‍द्रमा हैं, वह पीढ़ी से पीढ़ी बना रहे। वह ठूंठी घास पर होनेवाली वर्षा के समान, भूमि को सींचनेवाली बौछार के सदृश हो! उसके राज्‍यकाल में धार्मिक फलें-फूलें; जब तक चन्‍द्रमा न टल जाए, असीम शान्‍ति बनी रहे। वह समुद्र से समुद्र तक, फरात नदी से पृथ्‍वी के सीमान्‍तों तक राज्‍य करे! मरुभूमि के निवासी उसके सामने घुटने टेकें, उसके शत्रु धूल चाटें। स्‍पेन देश तथा द्वीप-द्वीप के राजा उसे भेंट चढ़ाएं, अरब और इथियोपिया देश के राजा उपहार लाएं। सब राजा उसको साष्‍टांग प्रणाम करें, समस्‍त राष्‍ट्र उसकी सेवा करें। वह दुहाई देनेवाले दरिद्र को, पीड़ित और निस्‍सहाय व्यक्‍ति को मुक्‍त करता है। वह दुर्बल और दरिद्र पर दया करता है, वह दरिद्रों के प्राण की रक्षा करता है। वह दमन और अत्‍याचार से उनके प्राण का उद्धार करता है, उसकी दृष्‍टि में उनका रक्‍त अनमोल है।