मेरा प्राण शान्ति से परमेश्वर की प्रतीक्षा करता है, मेरा उद्धार उसी से है। वही मेरा चट्टान और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है, मैं अधिक नहीं हिलूंगा। ओ शत्रुओ! तुम कब तक एक ही मनुष्य पर आक्रमण करते रहोगे कि सब उसे मार डालो, जैसे झुकी दीवार को, गिरती भीत को? वे उसके उच्च स्थान से उसे गिराने की सम्मति करते हैं। वे झूठ से हर्षित होते हैं। वे मुंह से तो आशिष देते हैं, पर हृदय से शाप। सेलाह मेरा प्राण शान्ति से परमेश्वर की प्रतीक्षा करता है, क्योंकि मेरी आशा उसी से है। वही मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है; वह मेरा गढ़ है, मैं नहीं हिंलूगा। परमेश्वर पर ही मेरा उद्धार और सम्मान आधारित है, मेरी दृढ़ चट्टान और शरण-स्थल परमेश्वर ही है। लोगो, हर समय परमेश्वर पर ही भरोसा करो। उसके सम्मुख अपना हृदय उण्डेल दो, परमेश्वर ही हमारे लिए शरण-स्थल है। सेलाह
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