भजन संहिता 6:1-10

भजन संहिता 6:1-10 HINCLBSI

प्रभु, क्रोध से मुझे न डांट, तू मुझे अपने रोष से ताड़ित न कर! प्रभु, मुझ पर दया कर, क्‍योंकि मैं दुर्बल हूँ; प्रभु, मुझे स्‍वस्‍थ कर, क्‍योंकि मेरी अस्‍थियां बेचैन हैं, मेरा प्राण भी बहुत बेचैन है; पर तू, हे प्रभु, कब तक? . . . प्रभु, लौट और मेरे प्राण बचा, अपने करुण स्‍वभाव के कारण मुझे मुक्‍त कर! क्‍योंकि मृत्‍यु की स्‍थिति में तेरा स्‍मरण करना संभव नहीं; कौन व्यक्‍ति मृतक लोक में तेरी स्‍तुति कर सकता है? मैं सिसकते-सिसकते थक गया; मैं प्रति रात अपने बिछौने को आंसुओं से भिगोता हूं, अश्रुधारा से मेरी शैया डूब जाती है। मेरी आंखें शोक से धुंधली होने लगी हैं, मेरे बैरियों के कारण वे कमजोर हो गई हैं। कुकर्मियो! मुझसे दूर हो; प्रभु मेरे विलाप पर ध्‍यान देता है। प्रभु ने मेरी विनती सुनी है; वह मेरी प्रार्थना भी स्‍वीकार करता है। मेरे शत्रु लज्‍जित और बहुत बेचैन होंगे, वे पीठ दिखाएंगे और क्षण-भर में उनका अपयश होगा।