भजन संहिता 56:1-13

भजन संहिता 56:1-13 HINCLBSI

हे परमेश्‍वर, मुझ पर कृपा कर, क्‍योंकि मनुष्‍य मुझे कुचलते हैं; सैनिक दिन भर मुझे सताते हैं; मेरे शत्रु दिन भर मुझे कुचलते हैं; घमण्‍ड से भर कर मुझ से लड़ने वाले बहुत हैं। जिस समय मैं भयभीत होता हूं, तुझ पर ही मैं भरोसा करता हूँ। परमेश्‍वर पर, जिसके वचन की मैं प्रशंसा करता हूं, परमेश्‍वर पर मैं भरोसा करता हूं, मैं नहीं डरूंगा; मनुष्‍य मेरा क्‍या कर सकता है? शत्रु निरन्‍तर मेरे कार्यों में अड़ंगा लगाते हैं; उनके समस्‍त विचार मेरे विरुद्ध बुराई के लिए हैं। वे परस्‍पर एकत्र हो घात लगाते हैं, वे मेरे पग-पग के प्रति सचेत रहते हैं, मानो वे मेरे प्राण के लिए ठहरे हैं। क्‍या वे बुराई करके भी बच निकलेंगे? हे परमेश्‍वर, क्रोध से उनको नीचे गिरा दे। तूने मेरे मारे-मारे फिरने का विवरण रखा है; हे परमेश्‍वर, मेरे आंसुओं को अपने पात्र में रखना। निस्‍सन्‍देह वे तेरी पुस्‍तक में लिखे हुए हैं। जिस दिन मैं तुझ को पुकारूंगा, मेरे शत्रु तत्‍काल पीठ दिखाएंगे; मैं यह जानता हूँ कि परमेश्‍वर मेरे पक्ष में है। परमेश्‍वर पर, जिसके वचन की मैं प्रशंसा करता हूँ; प्रभु पर, जिसके वचन की मैं प्रशंसा करता हूँ; परमेश्‍वर पर मैं भरोसा करता हूँ; मैं नहीं डरूंगा। मनुष्‍य मेरा क्‍या कर सकता है? हे परमेश्‍वर, तेरे प्रति अपने व्रतों का दायित्‍व मुझ पर है; मैं तुझ को स्‍तुति बलि चढ़ाऊंगा। तूने मृत्‍यु से मेरे प्राण को मुक्‍त किया है। निस्‍सन्‍देह तूने मेरे पैरों को फिसलने से बचाया है, जिससे मैं जीवन-ज्‍योति में तुझ-परमेश्‍वर के सम्‍मुख चलूं।