हे प्रभु, मैं तेरी शरण में आया हूँ; मुझे कभी लज्जित न होने देना; अपनी धार्मिकता द्वारा मुझे मुक्त कर। अपने कान मेरी ओर लगा, प्रभु, अविलंब मुझे बचा। मेरे निमित्त आश्रय की चट्टान और मुझे बचाने के लिए दृढ़ गढ़ बन। तू ही मेरी चट्टान और मेरा गढ़ है; अपने नाम के लिए मुझे मार्ग दिखा और मेरा नेतृत्व कर। मुझे उस जाल से बाहर निकाल जो मेरे लिए बिछाया गया है; तू ही मेरा आश्रयस्थल है। मैं अपनी आत्मा तेरे हाथ में सौंपता हूँ; हे प्रभु! सच्चे परमेश्वर, तूने मेरा उद्धार किया है। तू निस्सार मूर्तियों की पूजा करने वालों से घृणा करता है; किन्तु प्रभु, मैं तुझ पर ही भरोसा करता हूँ। मैं तेरी करुणा से हर्षित और सुखी होऊंगा; क्योंकि तूने मेरी पीड़ा को देखा है। तूने मेरे प्राण के संकट को पहचाना और मुझे शत्रुओं के हाथ में नहीं सौंपा; पर तूने मुझे स्वतन्त्र घूमने दिया! हे प्रभु, मुझ पर अनुग्रह कर; क्योंकि मैं संकट में हूं। मेरी आँखें शोक से कमजोर हो गई है; मेरा प्राण और शरीर भी सूख गए हैं! मेरा जीवन दु:ख में बीता; और मेरी आयु आह भरते बीत गई। मेरे अधर्म के कारण मेरा बल घट गया, और मेरी हड्डियां दिखाई देने लगीं। मैं अपने शत्रुओं की दृष्टि में उपेिक्षत, पड़ोसियों के लिए तिरस्कृत, और परिचितों के लिए भय का कारण बन गया हूं। जो मुझे सार्वजनिक स्थान में देखते हैं, वे तुरन्त मुझसे दूर भाग जाते हैं। मैं मृतक के समान हृदय से भुला दिया गया हूँ, मैं टूटे हुए पात्र के सदृश फेंक दिया गया हूँ। मैं चारों ओर आतंक की फुसफुसाहट सुनता हूँ। मानो उन्होंने मेरे विरुद्ध मिलकर सम्मति की है; और मेरे प्राण लेने को षड्यन्त्र रचा है। किन्तु प्रभु, मैं तुझ पर ही भरोसा करता हूँ, मैं कहता हूँ, “तू ही मेरा परमेश्वर है।” मेरा जीवनकाल तेरे हाथ में है; मेरा पीछा करनेवालों और शत्रुओं के हाथ से मुझे मुक्त कर। अपने मुख को अपने सेवक पर प्रकाशित कर। अपनी करुणा से मुझे बचा। हे प्रभु, मुझे लज्जित न होने देना; झूठ बोलने वाले ओंठ बन्द हो जाएं; जो तिरस्कार एवं अहंकार में धृष्ठता से धार्मिकों के विरुद्ध बोलते हैं। अहा! तेरी भलाई कितनी अपार है; जिसको तूने उन लोगों के लिए रख छोड़ा है जो तुझ से डरते हैं; और मानव सन्तान के समक्ष उन के लिए रचा है जो तेरी शरण में आते हैं। तू उन्हें अपनी उपस्थिति की छाया में मनुष्यों के षड्यन्त्र से छिपा लेता है; तू अपने आश्रय में उन्हें कलह-प्रिय जीभ से सुरक्षित रखता है। हे प्रभु, तू धन्य है! क्योंकि तूने मुझे सुदृढ़ नगर में रखकर मुझ पर अद्भुत करुणा की। मैंने अपनी व्याकुलता में यह कहा था, “मैं प्रभु की दृष्टि से दूर हो गया हूँ।” परन्तु जब मैंने तेरी दुहाई दी। तब तूने मेरी विनती सुनी। ओ प्रभु के भक्तगण, प्रभु से प्रेम करो! प्रभु विश्वासियों को सुरक्षित रखता है; किन्तु अहंकार में कार्य करने वाले से वह अत्यधिक प्रतिशोध लेता है। तुम सब, जो प्रभु की प्रतीक्षा करते हो, शक्तिशाली बनो, और तुम्हारा हृदय साहस से भरा रहे।
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