हे प्रभु, मैं तुझको ही पुकारता हूँ; हे मेरी चट्टान, मेरी पुकार अनसुनी न कर; ऐसा न हो कि तू चुप रहे, और मैं मृतक लोक को जाने वालों के समान मृतक हो जाऊं। जब मैं सहायता के लिए तुझ को पुकारूँ, जब मैं तेरे पवित्र मन्दिर के अन्तर्गृह की ओर हाथ फैलाऊं, तब मेरी विनती सुन।
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