भजन संहिता 18:34-45

भजन संहिता 18:34-45 HINCLBSI

वह युद्ध के लिए मेरे हाथों को प्रशििक्षत करता है; अत: मेरी बाहें पीतल के धनुष को मोड़ सकती हैं। तूने मुझे अपने उद्धार की ढाल दी है; तेरे दाहिने हाथ ने मुझे सहारा दिया है; तेरी सहायता ने मुझे महान बनाया है। तूने मेरा मार्ग चौड़ा किया कि मेरे पग आगे बढ़ें, और मेरे पैर न फिसलें। मैंने शत्रुओं का पीछा किया, और उन्‍हें पकड़ लिया; मैं तब तक न लौटा, जब तक उन्‍हें नष्‍ट न कर दिया। मैंने उन्‍हें ऐसा मारा कि वे फिर न उठ सके; वे मेरे पैरों पर गिर पड़े। तूने मुझे युद्ध के लिए शक्‍ति से भर दिया। तूने आक्रमणकारियों को मेरे सम्‍मुख झुका दिया। तूने मेरे शत्रुओं को विवश किया कि वे पीठ दिखाकर भागें। मैंने उन्‍हें नष्‍ट कर दिया, जो मुझसे घृणा करते थे। उन्‍होंने दुहाई दी, पर उन्‍हें बचाने वाला कोई नहीं था। उन्‍होंने प्रभु को पुकारा, पर प्रभु ने उन्‍हें उत्तर नहीं दिया। मैंने उन्‍हें चूर-चूर कर दिया, जैसे पवन के सम्‍मुख धूल। मैंने उन्‍हें पथ की कीच के समान निकाल फेंका। तूने मुझे उपद्रवी जातियों के संघर्ष से छुड़ाया, और मुझे राष्‍ट्रों का अध्‍यक्ष बनाया। उन जातियों ने मेरी सेवा की जिन्‍हें मैं जानता भी न था। जैसे ही उन्‍होंने मेरा नाम सुना, उन्‍होंने मेरे आदेशों की पूर्ति की; विदेशी वंदना करते हुए मेरे सम्‍मुख आए। वे विदेशी हताश हो गए, और अपने किलों से कांपते हुए निकले।

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