भजन संहिता 18:20-27

भजन संहिता 18:20-27 HINCLBSI

प्रभु ने मेरी धार्मिकता के अनुसार मुझे फल दिया; मेरे हाथों की शुद्धता के अनुरूप मुझे पुरस्‍कार दिया। मैं प्रभु के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्‍टतावश अपने परमेश्‍वर से पृथक नहीं हुआ। उसके समस्‍त न्‍याय-सिद्धान्‍त मेरे सम्‍मुख रहे; मैंने उसकी संविधियों को अपने से अलग नहीं किया। मैं उसके सम्‍मुख निर्दोष रहा; मैंने अपने को अपराधों से बचाए रखा। अत: प्रभु ने मेरी धार्मिकता के अनुसार, अपनी दृष्‍टि में मेरे हाथों की शुद्धता के अनुरूप, मुझे पुरस्‍कृत किया। भक्‍तजन के साथ तू भक्‍त है, और निर्दोष के साथ निर्दोष। सिद्ध के लिए तू सिद्ध है, पर कुटिल के लिए तू कुटिल है। तू विनम्र लोगों का उद्धार करता है, पर गर्व से चढ़ी हुई आंखों को नीचा।