भजन संहिता 16:1-11

भजन संहिता 16:1-11 HINCLBSI

हे परमेश्‍वर, मुझे सुरक्षित रख; क्‍योंकि मैं तेरी शरण में आया हूँ। मैंने प्रभु से यह कहा, “तू ही मेरा स्‍वामी है; तुझसे अलग मेरी भलाई नहीं।” पवित्र जन, जो धरती पर हैं, आदरणीय हैं, उनमें ही मेरा समस्‍त सुख है। जो व्यक्‍ति अन्‍य देवताओं का अनुसरण करते हैं, वे अपने दु:ख को बढ़ाते हैं। मैं उन देवताओं के लिए न रक्‍त की पेयबलि उण्‍डेलूंगा, और न उनका नाम ही अपनी जीभ पर लाऊंगा। प्रभु, तू मेरा कटोरा है, तू मेरा अंश है, जो मुझे दिया गया है। तू ही मेरे भाग को सम्‍भालता है। मेरे लिए माप की डोरी रमणीय स्‍थान में पड़ी, निस्‍संदेह मेरी पैतृक सम्‍पत्ति उत्तम है। मैं प्रभु को धन्‍य कहूंगा; वह मुझे परामर्श देता है। घोर अंधकार में भी मेरा हृदय मुझे चेतावनी देता है। मैं प्रभु को निरन्‍तर अपने समक्ष रखता हूँ; वह मेरी दाहिनी ओर है, इसलिए मैं अटल हूँ। अत: मेरा हृदय हर्षित और प्राण उल्‍लसित है। मेरा शरीर भी सुरक्षित है। तूने मेरे प्राण को मृतक-लोक में नहीं छोड़ा, और न अपने भक्‍त को मृत्‍यु का ग्रास बनने दिया। तू मुझे जीवन-मार्ग दिखाता है; तेरी उपस्‍थिति परमानन्‍द है; तेरे दाहिने हाथ में सदा-सर्वदा स्‍वर्ग-सुख है।

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