भजन संहिता 119:97-105

भजन संहिता 119:97-105 HINCLBSI

मैं तेरी व्‍यवस्‍था से कितना प्रेम करता हूं! दिन-भर मैं उसका पाठ करता हूं। तेरी आज्ञा मेरे शत्रुओं से अधिक मुझे बुद्धिमान बनाती है, क्‍योंकि वह सदा मेरे साथ है। मेरे सब शिक्षकों की अपेक्षा मुझ में अधिक समझ है; क्‍योंकि तेरी सािक्षयां मेरा दैनिक पाठ हैं। मैं वृद्धों से अधिक विचार करता हूं, क्‍योंकि मैं तेरे आदेश मानता हूं। मैं अपने पैरों को हरेक कुपथ से रोकता हूं, जिससे तेरे वचन का पालन करूं। मैं तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍तों से नहीं हटता हूं, क्‍योंकि तूने मुझे सिखाया है। तेरे वचन मेरी जीभ को कितने स्‍वादिष्‍ट लगते हैं! वे मेरे मुंह में मधु से अधिक मीठे हैं। तेरे आदेशों द्वारा मैं विचार करता हूं; अत: मैं प्रत्‍येक असत्‍य पथ से घृणा करता हूं। तेरा वचन मेरे पैर के लिए दीपक, और मेरे पथ की ज्‍योति है।