मेरी स्तुति के परमेश्वर, तू चुप न रह! दुर्जन और कुटिल व्यक्ति के मुंह मेरे विरुद्ध खुले हैं, वे मुझ से झूठी जिह्वा से बात करते हैं। घृणास्पद शब्दों से मुझे घेरते, और अकारण मुझ पर आक्रमण करते हैं। वे मेरे प्रेम के बदले मुझ पर दोषारोपण करते हैं, फिर भी मैं निरन्तर प्रार्थना करता हूं। वे भलाई के निमित्त बुराई, मेरे प्रेम के बदले मुझे घृणा लौटाते हैं।
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