बुद्धि ने अपना घर बनाया; उसने घर के सातों खम्भे खड़े किए। उसने भोज के लिए अपने पशु काटे, और अंगूर-रस में मसाले मिलाए; और आतिथियों के लिए भोज तैयार किया। तब उसने अपनी सेविकाओं को भेजा कि वे नगर के उच्च स्थान पर खड़े होकर लोगों को यह निमंत्रण दें : ‘जो मनुष्य सीधा-सादा है, वह घर के भीतर आए।’ जिसमें बुद्धि नहीं है उससे बुद्धि यह कहती है : ‘आ, और मेरी रोटी खा, और मसाला मिला अंगूर-रस पी। तब तुझे समझ आ जाएगी और तू जीवित रहेगा, तू समझ के मार्ग पर चलेगा।’
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