नीतिवचन 3:13-26

नीतिवचन 3:13-26 HINCLBSI

धन्‍य है वह मनुष्‍य जिसको बुद्धि मिल गई है; जिसने समझ को पा लिया है। क्‍योंकि बुद्धि की प्राप्‍ति चांदी की प्राप्‍ति से श्रेष्‍ठ है; उसकी उपलब्‍धि सोने से बढ़कर है। बुद्धि मोतियों से अधिक मूल्‍यवान है। तेरी किसी भी इष्‍ट वस्‍तु से उसकी तुलना नहीं हो सकती। उसके दाहिने हाथ में दीर्घायु, और बाएँ हाथ में सम्‍पत्ति और सम्‍मान हैं। उसके मार्ग आनन्‍दमय हैं; उसके पथ सुख-समृद्धि से परिपूर्ण हैं। जो मनुष्‍य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्‍सन्‍देह सुखी हैं। प्रभु ने बुद्धि से पृथ्‍वी की नींव डाली है; उसने समझ से आकाश को स्‍थिर किया है। उसके ज्ञान से गहरे जल-स्रोत फूटते हैं और आकाश से ओस टपकती है। प्रिय शिष्‍य, खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर, ये तेरी आंखों से ओझल न हों। तब तू उनसे जीवन प्राप्‍त करेगा, ये तेरे गले का हार बनेंगे। तब तू अपने मार्ग पर निश्‍चिंत चलेगा, तेरे पैरों में ठोकर नहीं लगेगी। जब तू सोएगा तब तुझे डर न लगेगा, निस्‍सन्‍देह सोते समय तुझे सुख की नींद आएगी। प्रिय शिष्‍य, अचानक आने वाले आतंक से न डरना; जब दुर्जन तुझ पर तूफान की तरह टूट पड़ें, तब न घबराना; क्‍योंकि प्रभु तुझे सहारा देगा, वह तेरे पैर को फंदे में फंसने से बचाएगा।