नीतिवचन 23:1-18

नीतिवचन 23:1-18 HINCLBSI

यदि तुम उच्‍च पदाधिकारी के साथ भोजन करने के लिए बैठोगे तो ध्‍यान में रखना कि तुम्‍हारे सामने कौन बैठा है। यदि तुम बहुत भोजन खाते हो तो उस समय थोड़ा ही खाना। उसकी स्‍वादिष्‍ट चीजों का लालच मत करना, क्‍योंकि वह धोखे का भोजन है। पूंजीपति बनने के लिए अपना पसीना मत बहाना; इस लोभ से बचने में ही बुद्धिमानी है। धन-सम्‍पत्ति चंचल होती है, पलक झपकते वह हाथ से निकल जाती है; मानो उसको पंख उग आते हैं, और वह गरुड़ के समान तीव्र गति से आकाश की ओर उड़ जाती है। कंजूस मनुष्‍य की रोटी मत खाना, और न उसके स्‍वादिष्‍ट भोजन का लालच करना; क्‍योंकि वह मुंह से तो कहता है, ‘खाइये, खाइये।’ पर वह मन में कुढ़ता है, और हृदय से तुम्‍हारा स्‍वागत नहीं करता। जो कौर तुम खाओगे, उसको तुम उगल दोगे; कंजूस से की गई तुम्‍हारी मीठी बातें भी व्‍यर्थ हो जाएंगी। तुम मूर्ख मनुष्‍य से ज्ञान की बातें मत कहना, क्‍योंकि वह तुम्‍हारे वचनों को तुच्‍छ समझेगा। दूसरे की भूमि को हड़पने के लिए पुराना सीमा-चिह्‍न मत हटाना; और न अनाथ बच्‍चे के खेतों को हड़पना। क्‍योंकि उनको छुड़ानेवाला प्रभु बलवान है; वह तुम्‍हारे विरुद्ध और उनके पक्ष में मुकद्दमा लड़ेगा। शिक्षा में मन लगाना और ज्ञान की बातों पर ध्‍यान देना। बालक को दण्‍ड देने में मत हिचकना; यदि तुम उसको छड़ी से मारोगे, तो वह मर नहीं जाएगा; बल्‍कि तुम उसको छड़ी से मार कर उसका प्राण अधोलोक में पड़ने से बचाओगे। मेरे पुत्र, यदि तेरे हृदय में बुद्धि का निवास है तो मेरा हृदय भी आनन्‍दित होगा। जब तेरे मुंह से विवेकपूर्ण बातें निकलती हैं, तब मेरी आत्‍मा हर्षित होती है। मेरे पुत्र, पापियों की सफलता को देखकर उनसे ईष्‍र्या मत करना; परन्‍तु प्रति दिन प्रभु की भक्‍ति निरन्‍तर करते रहना। निस्‍सन्‍देह सुबह फिर होगी, और तेरी आशा पर तुषार-पात न होगा।