चरित्रहीन स्त्री का मुंह मानो गहरा गड्ढा है; प्रभु जिससे नाराज होता है, वह मनुष्य उस गड्ढे में गिरता है। बालक के हृदय में मूढ़ता की गांठ होती है, पर अनुशासन की छड़ी उस को खोलकर उसे दूर कर देती है। जो मनुष्य अपना धन बढ़ाने के लिए अथवा धनवानों को भेंट चढ़ाने के लिए गरीब पर अत्याचार करता है, वह स्वयं अभावग्रस्त होगा। विद्वानों के ये वचन हैं : मेरी ओर कान लगाओ और ध्यान से मेरी बातें सुनो, ज्ञान की बातों पर मन लगाओ, जो मैं तुमसे कहूंगा। यदि तुम इन बातों को अपने हृदय में धारण करोगे और ये तुम्हारे ओंठों से निकला करेंगी तो यह आनन्द की बात होगी। तुम प्रभु पर भरोसा करो, इसलिए मैंने तुमसे ज्ञान की ये बातें कहीं हैं। मैंने तुम्हारे हित और ज्ञान के लिए तीस नीतिवचन लिखे हैं, जिससे तुम्हें मालूम हो जाए कि उचित मार्ग क्या है, सत्य क्या है, और तुम लौटकर अपने भेजनेवालों को सच्चा उत्तर दे सको: किसी गरीब को मत लूटना क्योंकि वह गरीब है; और न अदालत में किसी पीड़ित का दमन करना। क्योंकि स्वयं प्रभु उनका मुकद्दमा लड़ेगा, और वह उनका प्राण ले लेगा, जो गरीबों और पीड़ितों को लूटते हैं। जिस मनुष्य का स्वभाव क्रोधी है, उससे मित्रता मत करना; तुरन्त नाराज होनेवाले मनुष्य के साथ मत रहना। अन्यथा तुम भी उसका आचरण सीख जाओगे, और अपने प्राण को फंदे में फंसाओगे। उन लोगों के समान मत बनो, जो दूसरों कि जमानत देते हैं, जो कर्जदारों का कर्ज चुकाने के लिए वचन देते हैं। क्योंकि यदि चुकाने के लिए तुम्हारे पास कुछ न होगा तो साहूकार तुम्हारा बिस्तर भी तुमसे ले लेगा। जो सीमा-चिह्न तुम्हारे पुर्वजों ने गाड़ा है, उसको मत हटाना। यदि तुम्हें ऐसा मनुष्य दिखाई दे जो अपने काम में माहिर है, तो समझ जाना कि वह उच्च पद पर नियुक्त होगा, वह साधारण नौकरी नहीं करेगा।
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