यदि मनुष्य को कीर्ति और अपार धन-सम्पत्ति के बीच चुनाव करना पड़े तो उसको कीर्ति ही चुनना चाहिए। सोने और चांदी से अधिक बहुमूल्य है जनता की प्रसन्नता। समाज में अमीर और गरीब एक-साथ रहते हैं; प्रभु ही उन-सब का सृजक है। चतुर मनुष्य खतरे को देख कर अपने को छिपा लेता है; पर भोला मनुष्य खतरे के मुंह में चला जाता है, और कष्ट भोगता है। जो मनुष्य नम्र है, और प्रभु की भक्ति करता है, उसको प्रतिफल में मिलता है: धन, सम्मान और दीर्घ जीवन। कुटिल मनुष्य के मार्ग में कांटे और जाल बिछे रहते हैं; जो मनुष्य अपने प्राण की रक्षा करना चाहता है, वह उनसे दूर रहता है।
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