शराब शराबी को उपहास का पात्र बनाती है, मदिरा उससे हल्ला-गुल्ला करवाती है; जो मनुष्य उसके रास्ते पर चलता है, वह बुद्धिमान नहीं है। राजा का क्रोध सिंह की दहाड़ के समान भयावह होता है; जो मनुष्य राजा का क्रोध भड़काता है, वह अपने प्राण से हाथ धोता है। लड़ाई-झगड़ों में हाथ न डालना मनुष्य के लिए गौरव की बात है; मूर्ख मनुष्य ही झगड़े के लिए सदा तैयार रहता है। आलसी किसान खरीफ के मौसम में हल नहीं जोतता, इसलिए जब वह कटनी के समय फसल खोजता है, तब उसके हाथ कुछ नहीं लगता। मनुष्य के मन में विचार अथाह जल के समान हैं; पर मनुष्य की समझ उनको वहां से निकाल लेती है। अनेक मनुष्य अपनी मित्रता का दावा करते हैं; पर सच्चा मित्र किसे मिल सकता है? उस पिता की सन्तान धन्य है, जो धार्मिक है, जिसका आचरण निर्दोष है। जो राजा न्याय-आसन पर बैठता है, वह आंखों से ही अन्याय को छांट लेता है। कौन यह दावा कर सकता है, कि मैंने अपना हृदय शुद्ध कर लिया है, मैं पाप से मुक्त होकर पवित्र हो गया हूँ? दो तरह के बाट और दो तरह के नाप दोनों से प्रभु घृणा करता है। बच्चा भी अपने कामों से पहचाना जाता है कि उसका आचरण कैसा है, भला अथवा बुरा। कान जो सुनते हैं, आंखें जो देखती हैं, दोनों को प्रभु ने बनाया है। नींद को प्यार मत करो, अन्यथा तुम गरीब हो जाओगे; आंखें खोलकर कठोर परिश्रम करो तो तुम्हें रोटी का अभाव न होगा। मोल लेते समय खरीदार कहता है, “वस्तु अच्छी नहीं है।” पर कम कीमत पर वस्तु खरीद लेने के बाद वह शेखी मारता है। मनुष्य के पास बहुत सोना और मणि हो सकते हैं, परन्तु बुद्धिमान मनुष्य की वाणी ही अमोल मोती है।
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