प्रिय शिष्य! यदि तू मेरा कहना माने, और मेरी आज्ञाओं को निधि के सदृश अपने हृदय में रखे; यदि तू बुद्धि की बात पर कान लगाए, और समझ की बात पर हृदय, यदि तू अन्तर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए पुकारे, यदि तू समझ को बुलाए, यदि तू चांदी की खान के सदृश उसको खोजे, और गुप्त खजाने के समान उसको ढूंढ़ता रहे, तो तू परमेश्वर के प्रति भय-भाव को समझ सकेगा, और तू परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करेगा। प्रभु ही बुद्धि देता है; उसके मुख से ही ज्ञान और समझ की बातें निकलती हैं। वह निष्कपट व्यक्ति के लिए ज्ञान संचित करता है; जिनका आचरण खरा है, उनकी वह ढाल के सदृश रक्षा करता है। जो न्याय के पथ पर चलते हैं, उनका वह रक्षक है और वह अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है। प्रिय शिष्य, बुद्धि ग्रहण करने से तू धर्म और न्याय को समझ पाएगा, निष्कपट आचरण तथा सन्मार्ग को पहचान पाएगा, क्योंकि बुद्धि तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, ज्ञान तेरे प्राण को सुख प्रदान करेगा। विवेक तेरी निगरानी करेगा, और समझ तेरी रक्षा करेगी।
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