यदि हृदय प्रसन्न है तो चेहरे पर रौनक रहती है; किन्तु यदि हृदय दु:खित है तो अन्तर-आत्मा भी उदास रहती है। जो मनुष्य समझदार है, उसका हृदय ज्ञान का प्यासा होता है, किन्तु मूर्ख मूर्खतापूर्ण बातों से अपना पेट भरता है। जो मनुष्य दु:खी है, उसका हर दिन दु:ख में बीतता है, किन्तु जिस व्यक्ति का हृदय प्रसन्नता से भरा रहता है, वह मानो नित्य भोज में सम्मिलित होता है।
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