नीतिवचन 12:11-23

नीतिवचन 12:11-23 HINCLBSI

जो किसान अपनी भूमि को स्‍वयं जोतता-गोड़ता है, उसको रोटी का अभाव नहीं होता! पर जो मनुष्‍य व्‍यर्थ की योजनाओं में समय गुजारता है, वह नासमझ है! दुर्जनों का सुदृढ़ गढ़ भी ढह जाता है; पर धार्मिक मनुष्‍य की जड़ें गहरी होती हैं। दुर्जन अपने मुंह से निकले शब्‍दों के जाल में स्‍वयं फंस जाता है, पर धार्मिक मनुष्‍य संकट आने पर भी बच जाता है। मनुष्‍य को अपने वचनों के फल के अनुरूप उत्तम वस्‍तुएं प्राप्‍त होती हैं, और वह सन्‍तुष्‍ट होता है; मनुष्‍य जैसा कार्य करता है वैसा ही उसको फल मिलता है। मूर्ख मनुष्‍य को अपना आचरण अपनी दृष्‍टि में उचित लगता है, पर बुद्धिमान मनुष्‍य दूसरों की सलाह को ध्‍यान से सुनता है। मूर्ख मनुष्‍य अपनी चिढ़ तत्‍काल प्रकट कर देता है, किन्‍तु व्‍यवहार-कुशल मनुष्‍य अपना अपमान पी जाता है। सच बोलनेवाला गवाह सच्‍ची साक्षी देता है; पर झूठा गवाह झूठ के अतिरिक्‍त कुछ नहीं बोलता। बिना सोच-विचार के बोलनेवाले मनुष्‍य के शब्‍द तलवार की तरह बेधते हैं; पर बुद्धिमान की बातें मलहम का काम करती हैं। सत्‍यनिष्‍ठ ओंठों के वचन अमर रहते हैं; किन्‍तु झूठी जीभ की बातें क्षणभंगुर होती हैं। बुरी योजना रचनेवाले के दिल में छल-कपट भरा रहता है; परन्‍तु कल्‍याणकारी योजना बनानेवाला आनन्‍द-मग्‍न रहता है। धार्मिक मनुष्‍य अनिष्‍ट से बचा रहता है; पर दुर्जन विपत्ति से घिरा रहता है। प्रभु झूठ बोलनेवाले मनुष्‍यों से घृणा करता है; पर जो मनुष्‍य सच्‍चाई से काम करते हैं, उनसे प्रभु प्रसन्न होता है। चतुर मनुष्‍य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है; पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है।