जो मनुष्य दूसरों पर दया करता है, वह स्वयं अपना हित करता है; पर निर्दयी मनुष्य स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारता है। दुर्जन की कमाई मिथ्या है; पर धार्मिकता का बीज बोनेवाला मनुष्य निश्चय ही सच्चा फल प्राप्त करता है। धर्म पर स्थिर रहनेवाला मनुष्य सदा जीवित रहता है, पर जो दुष्कर्मों को गले लगाता है, वह नष्ट हो जाता है। जिसके हृदय में कुटिलता निवास करती है, उससे प्रभु घृणा करता है; पर वह निष्कपट मार्ग पर चलनेवाले से प्रसन्न होता है। निश्चय जानो! प्रभु दुर्जन को अवश्य दण्ड देगा, किन्तु धार्मिक मनुष्य का अनिष्ट न होगा। यदि सुन्दर स्त्री में विवेक नहीं है तो वह सूअर के थूथन में सोने की नथ के समान है! धार्मिक मनुष्य की अभिलाषा केवल भलाई होती है; पर दुर्जन की आशा का परिणाम प्रभु का क्रोध होता है! मुक्त हृदय से लुटानेवाला मनुष्य धनवान होता जाता है; पर जो मनुष्य जितना देना चाहिए उतना नहीं देता; वह अभावग्रस्त हो जाता है। उदारता से देनेवाला मनुष्य सम्पन्न होता है; दूसरे के खेत को सींचनेवाले किसान की भूमि भी सींची जाती है।
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