नीतिवचन 11:1-11

नीतिवचन 11:1-11 HINCLBSI

प्रभु उन व्‍यापारियों से घृणा करता है जो झूठे नाप-तौल रखते हैं; पर वह सच्‍चे, खरे बाट से प्रसन्न होता है। जब मनुष्‍य अभिमान करता है, तब अभिमान के साथ अपमान आता है, परन्‍तु बुद्धिमान व्यक्‍ति में नम्रता होती है। निष्‍कपट मनुष्‍य का मार्गदर्शन उसकी निष्‍कपटता करती है; परन्‍तु कपटी व्यक्‍ति अपने कपट के कारण स्‍वयं नष्‍ट हो जाता है। मृत्‍यु के दिन धन किसी काम नहीं आता, किन्‍तु मनुष्‍य की धार्मिकता उसको मृत्‍यु से बचाती है! निर्दोष मनुष्‍य अपनी धार्मिकता के कारण अपने जीवनमार्ग में सीधा चलता है। किन्‍तु दुर्जन की दुर्जनता के कारण उसका पतन हो जाता है। निष्‍कपट मनुष्‍य की रक्षा उसकी धार्मिकता करती है, पर विश्‍वासघाती मनुष्‍य अपनी वासना के जाल में फंस जाता है। दुर्जन की मृत्‍यु के साथ उसकी आशा भी मर जाती है; अधार्मिक मनुष्‍य की आशा अन्‍त में पूरी नहीं होती। धार्मिक मनुष्‍य संकट से मुक्‍त होता है, परन्‍तु दुर्जन उसमें फंस जाता है। अधार्मिक मनुष्‍य अपने मुख के वचनों से अपने पड़ोसी को नष्‍ट कर देता है, पर धार्मिक मनुष्‍य अपने ज्ञान से अपने पड़ोसी को बचाता है। जब धार्मिक मनुष्‍य का कल्‍याण होता है, तब सम्‍पूर्ण नगर जय जयकार करता है किन्‍तु दुर्जन के विनाश पर सब नगरवासी हर्ष मनाते हैं। निष्‍कपट व्यक्‍ति के आशिष-वचनों से नगर की उन्नति होती है, परन्‍तु दुर्जन के दुर्वचनों से वह ध्‍वस्‍त हो जाता है।