फिलिप्पियों 1:1-30

फिलिप्पियों 1:1-30 HINCLBSI

फिलिप्‍पी नगर में रहने वाले तथा येशु मसीह से संयुक्‍त सब सन्‍तों और उनके अध्‍यक्षों एवं धर्मसेवकों के नाम येशु मसीह के सेवक पौलुस और तिमोथी का पत्र। हमारा पिता परमेश्‍वर और प्रभु येशु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शान्‍ति प्रदान करें! जब-जब मैं आप लोगों को स्‍मरण करता हूँ, तो अपने परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देता हूँ। मैं हमेशा अपनी हर प्रार्थना में आनन्‍द के साथ आप सब के लिए निवेदन करता हूँ; क्‍योंकि आप प्रारम्‍भ से अब तक शुभ समाचार के कार्य में सहयोग देते आ रहे हैं। जिस परमेश्‍वर ने आप लोगों में यह शुभ कार्य आरम्‍भ किया, वह येशु मसीह के दिन तक उसे पूर्ण भी करेगा, इसका मुझे पक्‍का विश्‍वास है। आप सब के विषय में मेरा यह विचार उचित है। आप मेरे हृदय में बस गये हैं, क्‍योंकि जब मैं कैद में हूँ या शुभ समाचार की सच्‍चाई की रक्षा और पुष्‍टि कर रहा हूँ, तो आप सब मेरे इस अनुग्रह में सहभागी हो जाते हैं जो मुझ पर हुआ है। परमेश्‍वर मेरा साक्षी है कि मैं येशु मसीह की करुणा से प्रेरित हो कर आप लोगों को कितना चाहता हूँ। परमेश्‍वर से मेरी प्रार्थना यह है कि आपका प्रेम, ज्ञान में तथा हर प्रकार की अन्‍तर्दृष्‍टि में, उत्तरोत्तर बढ़ता जाये, जिससे जो श्रेय है, आप उसे पहचानें। इस तरह आप लोग मसीह के दिन के लिए निर्मल-चित्त तथा निर्दोष होंगे और परमेश्‍वर की महिमा तथा प्रशंसा के लिए उस धार्मिकता से परिपूर्ण होंगे, जो येशु मसीह के द्वारा ही फलती-फूलती है। भाइयो और बहिनो! मैं आप लोगों को बता देना चाहता हूँ कि मुझ पर जो बीता है, वह शुभ समाचार के प्रचार में बाधक नहीं बल्‍कि सहायक सिद्ध हुआ। राजभवन और जनसाधारण में यह बात अब सब जगह फैल गयी है कि मैं मसीह के कारण बन्‍दी हूँ। अधिकांश भाई-बहिनों को मेरी कैद से बल मिला है। वे प्रभु पर भरोसा रख कर पहले से अधिक साहस के साथ निर्भीकता से परमेश्‍वर का वचन सुनाते हैं। कुछ लोग तो ईष्‍र्या एवं स्‍पर्द्धा से ऐसा करते हैं और कुछ लोग सद्भाव से मसीह का प्रचार करते हैं। ये लोग प्रेम से प्रेरित हो कर ऐसा करते हैं। ये जानते हैं कि मैं शुभ समाचार की रक्षा के कारण कैदी हूँ। किन्‍तु वे दूसरे लोग प्रतिस्‍पर्द्धा से प्रेरित हो कर शुद्ध उद्देश्‍य से मसीह का प्रचार नहीं करते। वे समझते हैं कि वे इस प्रकार मेरी कैद को और भारी बना देंगे। लेकिन इससे क्‍या? बहाने से हो या सच्‍चाई से, चाहे जिस प्रकार हो, मसीह का प्रचार तो हो रहा है। मैं इसी से आनन्‍दित हूँ। और मैं आनन्‍द मनाता ही रहूँगा, क्‍योंकि मैं जानता हूँ कि आपकी प्रार्थनाओं और येशु मसीह के आत्‍मा की सहायता द्वारा इन सब बातों का परिणाम यह होगा कि मैं मुक्‍त हो जाऊंगा। मेरी हार्दिक अभिलाषा और आशा यह है कि मुझे किसी बात पर लज्‍जित नहीं होना पड़े, वरन् मैं पूर्ण निर्भीकता से बोलूँ, जिससे सदा की भांति अब भी-चाहे मैं जीवित रहूँ या मर जाऊं-मसीह मेरी देह द्वारा महिमान्‍वित हों। मेरे लिए तो जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है! किन्‍तु यदि मैं सशरीर जीवित रहूँ, तो सफल परिश्रम कर सकता हूँ; इसलिए मैं नहीं समझ पाता कि क्‍या चुनूँ। मैं दोनों ओर खिंचा हुआ हूँ। मैं तो चल देना और मसीह के साथ रहना चाहता हूं। यह निश्‍चय ही सर्वोत्तम है; किन्‍तु शरीर में मेरा विद्यमान रहना आप लोगों के लिए अधिक हितकर है। मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि मैं जीवित रहूंगा और आप के साथ रह कर आपकी सहायता करूँगा, जिससे आपकी प्रगति हो और विश्‍वास में आपका आनन्‍द बढ़े। इस प्रकार जब मैं फिर आप के यहाँ आऊंगा, तो आप मेरे कारण येशु मसीह पर और भी गौरव कर सकेंगे। आप लोग एक बात का ध्‍यान रखें : आपका आचरण मसीह के शुभ समाचार के योग्‍य हो। इस तरह मैं चाहे आ कर आप से मिलूँ, चाहे दूर रह कर आप के विषय में सुनूँ, मुझे यही मालूम हो कि आप एक-प्राण हो कर विश्‍वास में अटल बने हुए हैं, एक-हृदय हो कर शुभसमाचार में विश्‍वास के लिए मेरे साथ प्रयत्‍नशील हैं और विरोधियों से तनिक भी नहीं डरते। आपकी यह दृढ़ता परमेश्‍वर का वरदान है और यह विरोधियों के लिए विनाश का, किन्‍तु आपके लिए मुक्‍ति का संकेत है। आप लोगों को न केवल मसीह में विश्‍वास करने का, बल्‍कि उनके कारण दु:ख भोगने का भी वरदान मिला है। क्‍योंकि आप भी उस संघर्ष में लगे हुए हैं, जो आपने मुझे करते देखा और जिस में मैं अब भी लगा हुआ हूँ, जैसा कि आप सुनते होंगे।

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