ओ नीनवे महानगर! विध्वंसक ने तुझ पर आक्रमण कर दिया। अत: परकोटों पर पहरेदार नियुक्त कर। मार्ग की चौकसी कर युद्ध के लिए तैयार हो। अपनी समस्त सैनिक शक्ति को एकत्र कर। प्रभु याकूब वंशियों का वैभव, इस्राएल के वंशजों का वैभव लौटा रहा है। लुटेरे आक्रमणकारियों ने उन्हें लूट लिया था, उनकी अंगूर-लताओं को नष्ट कर दिया था। विध्वंसक के योद्धाओं की ढाल लाल है। उसके सैनिक किरमिजी रंग की वरदी पहिने हुए हैं। रथ पंिक्तबद्ध हैं। वे ज्वाला की तरह चमक रहे हैं। घोड़े कूद-फांद रहे हैं। रथ सड़कों पर अंधाधुन्ध दौड़ने लगे। वे चौराहों पर इधर-उधर दौड़ रहे हैं। वे मशालों की तरह चमक रहे हैं। वे बिजली की गति से झपटते हैं। सेनाधिकारियों को बुलाया गया। वे गिरते-पड़ते जा रहे हैं, वे शहरपनाह की ओर भाग रहे हैं। वहाँ रक्षा-मंडप तैयार किया गया है। नदी-बांध के फाटक खोल दिए गए; महल में निराशा छा गई। उसकी स्वामिनी बंदी बना ली गई। उसे ले जा रहे हैं। उसकी सेविकाएँ रो रही हैं। वे चकई की तरह विलाप कर रही हैं। वे अपनी छाती पीट रही हैं। नीनवे एक ऐसा तालाब है, जिसका पानी बह गया! वे आदेश देते हैं, ‘रुको रुको।’ पर कौन रुकता है! चांदी लूटो, सोना लूटो, खजाने का अन्त नहीं। कीमती वस्तुओं के ढेर लगे हैं। नीनवे महानगर उजड़ गया। विध्वंस और विनाश! हृदय डूब रहा है, घुटने कांप रहे हैं। कमर टूट गई; चेहरे पीले पड़ गए।
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