वे बेतसैदा गाँव में आए। कुछ लोग एक अन्धे को येशु के पास लाए और उन से यह अनुरोध किया, “आप उसे स्पर्श कर दें।” वह अन्धे का हाथ पकड़ कर उसे गाँव के बाहर ले गये। वहाँ उन्होंने उसकी आँखों पर लगाने के लिए थूका और उस पर अपना हाथ रख कर उस से पूछा, “क्या तुम्हें कुछ दिखाई दे रहा है?” उसने आँखें उठाकर उत्तर दिया, “मैं लोगों को देख सकता हूँ, पर वे पेड़ जैसे लगते हैं जो चल रहे हैं।” तब उन्होंने फिर अन्धे की आँखों पर अपने हाथ रखे। अन्धे ने यत्नपूर्वक देखा और उसे दृष्टि पुन: प्राप्त हो गई। वह सब-कुछ साफ-साफ देखने लगा। येशु ने यह कहते हुए उसे घर भेज दिया, “इस गाँव में पैर मत रखना।” येशु अपने शिष्यों के साथ कैसरिया फिलिप्पी के गाँवों की ओर गये। मार्ग में उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा, “मैं कौन हूँ, इस विषय में लोग क्या कहते हैं?” उन्होंने उत्तर दिया, “योहन बपतिस्मादाता; पर कुछ लोग कहते हैं एलियाह और अन्य लोग कहते हैं नबियों में से कोई एक नबी।” इस पर येशु ने पूछा, “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?” पतरस ने उत्तर दिया, “आप मसीह हैं।” इस पर उन्होंने अपने शिष्यों को चेतावनी दी, “तुम लोग मेरे विषय में किसी को नहीं बताना।”
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