मारकुस 8:1-21

मारकुस 8:1-21 HINCLBSI

उस समय फिर एक विशाल जनसमूह एकत्र हो गया था और लोगों के पास खाने को कुछ भी नहीं था। येशु ने अपने शिष्‍यों को अपने पास बुला कर कहा, “मुझे इन लोगों पर तरस आता है। ये तीन दिनों से मेरे साथ रह रहे हैं और इनके पास खाने को कुछ भी नहीं है। यदि मैं इन्‍हें भूखा ही घर भेजूँ, तो ये रास्‍ते में मूच्‍छिर्त हो जाएँगे। इन में कुछ लोग तो दूर से आए हैं।” उनके शिष्‍यों ने उत्तर दिया, “इस निर्जन स्‍थान में इन लोगों को खिलाने के लिए कहाँ से रोटियाँ मिलेंगी?” येशु ने उनसे पूछा, “तुम्‍हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्‍होंने कहा, “सात।” येशु ने लोगों को भूमि पर बैठ जाने का आदेश दिया। येशु ने वे सात रोटियाँ लीं, परमेश्‍वर को धन्‍यवाद दिया, उनको तोड़ा और फिर अपने शिष्‍यों को दिया कि वे उनको परोसें। शिष्‍यों ने उनको जनसमूह के सम्‍मुख परोस दिया। उनके पास कुछ छोटी मछलियाँ भी थीं। येशु ने उनके लिए आशिष माँगी, और उन्‍हें भी परोसने को कहा। लोगों ने खाया और खा कर तृप्‍त हो गये और उन्‍होंने बचे हुए टुकड़ों से भरे सात टोकरे उठाये। लोगों की संख्‍या लगभग चार हजार थी। येशु ने उन्‍हें विदा कर दिया। वह तुरन्‍त नाव पर चढ़े और अपने शिष्‍यों के साथ दलमनूथा-क्षेत्र पहुँचे। फरीसी आ कर येशु से विवाद करने लगे। येशु की परीक्षा लेने के उद्देश्‍य से उन्‍होंने उन से स्‍वर्ग का कोई चिह्‍न माँगा। येशु ने गहरी आह भर कर कहा, “यह पीढ़ी चिह्‍न क्‍यों माँगती है? मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ, इस पीढ़ी को कोई भी चिह्‍न नहीं दिया जाएगा।” और येशु उन्‍हें छोड़ कर पुन: नाव पर चढ़े और झील के उस पार चले गये। शिष्‍य रोटियाँ ले जाना भूल गये थे, और नाव में उनके पास एक ही रोटी थी। उस समय येशु ने उन्‍हें यह चेतावनी दी, “देखो, फरीसियों के खमीर और हेरोदेस के खमीर से सावधान रहना!” इस पर वे आपस में कहने लगे, “हमारे पास रोटियाँ नहीं हैं, इसलिए यह ऐसा कह रहे हैं।” येशु ने यह जान कर उन से कहा, “तुम लोग यह क्‍यों सोचते हो कि हमारे पास रोटियाँ नहीं हैं। क्‍या तुम अब तक नहीं जान सके हो? क्‍या अब भी तुम्‍हारी समझ में नहीं आया है? क्‍या तुम्‍हारा मन जड़ हो गया है? क्‍या आँखें रहते भी तुम देखते नहीं? और कान रहते भी तुम सुनते नहीं? क्‍या तुम्‍हें याद नहीं है : जब मैंने पाँच हजार लोगों के लिए पाँच रोटियाँ तोड़ीं, तो तुम ने टुकड़ों से भरी कितनी टोकरियाँ उठाई थीं?” शिष्‍यों ने उत्तर दिया, “बारह।” येशु ने पुन: पूछा, “और जब मैंने चार हजार लोगों के लिए सात रोटियाँ तोड़ीं, “तो तुम ने टुकड़ों से भरे कितने टोकरे उठाए थे?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “सात” इस पर येशु ने उन से कहा, “क्‍या तुम अब भी नहीं समझ सके?”