उसी दिन, सन्ध्या हो जाने पर येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील के उस पार चलें।” लोगों को विदा करने के बाद शिष्य येशु को उसी नाव पर ले गये, जिस पर वह बैठे हुए थे। दूसरी नावें भी येशु के साथ चलीं। तब झील में एक प्रचंड झंझावात उठा। लहरें इतने जोर से नाव से टकराईं कि वह पहले ही पानी से भर गई। येशु नाव के पिछले भाग में तकिया लगाए सो रहे थे। शिष्यों ने उन्हें जगा कर कहा, “गुरुवर! हम डूब रहे हैं! क्या आप को इसकी कोई चिन्ता नहीं?” येशु उठे और उन्होंने वायु को डाँटा और झील से कहा, “शान्त हो! थम जा!” वायु मन्द हो गयी और पूर्ण शान्ति छा गयी। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं है?”
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