अब सन्ध्या हो गयी थी। उस दिन शुक्रवार था, अर्थात् विश्राम-दिवस के पूर्व का दिन। इसलिए अरिमतियाह नगर का यूसुफ़ आया। वह धर्ममहासभा का एक सम्मानित सदस्य था। वह परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा में था। वह साहस करके राजभवन के भीतर पिलातुस के पास गया और उसने येशु का शरीर माँगा। पिलातुस को आश्चर्य हुआ कि वह इतने शीघ्र मर गये हैं। उसने शतपति को बुला कर पूछा कि क्या येशु को मरे कुछ समय हो गया है। शतपति से इसकी सूचना पाकर पिलातुस ने यूसुफ़ को शव दिला दिया।
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