मारकुस 15:37-47

मारकुस 15:37-47 HINCLBSI

तब येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकार कर प्राण त्‍याग दिये। मन्‍दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया। जो रोमन शतपति येशु के सामने खड़ा था, वह उन्‍हें इस प्रकार प्राण त्‍यागते देख कर बोल उठा, “निश्‍चय ही, यह मनुष्‍य परमेश्‍वर का पुत्र था।” वहाँ कुछ स्‍त्रियाँ भी दूर से देख रही थीं। उन में मरियम मगदलेनी, छोटे याकूब और योसेस की माता मरियम और सलोमी थीं। जब येशु गलील प्रदेश में थे, वे उनके पीछे हो ली थीं और उनकी सेवा-परिचर्या करती थीं। वहाँ और भी अन्‍य स्‍त्रियाँ थीं, जो येशु के साथ यरूशलेम आयी थीं। अब सन्‍ध्‍या हो गयी थी। उस दिन शुक्रवार था, अर्थात् विश्राम-दिवस के पूर्व का दिन। इसलिए अरिमतियाह नगर का यूसुफ़ आया। वह धर्ममहासभा का एक सम्‍मानित सदस्‍य था। वह परमेश्‍वर के राज्‍य की प्रतीक्षा में था। वह साहस करके राजभवन के भीतर पिलातुस के पास गया और उसने येशु का शरीर माँगा। पिलातुस को आश्‍चर्य हुआ कि वह इतने शीघ्र मर गये हैं। उसने शतपति को बुला कर पूछा कि क्‍या येशु को मरे कुछ समय हो गया है। शतपति से इसकी सूचना पाकर पिलातुस ने यूसुफ़ को शव दिला दिया। यूसुफ़ ने मलमल का कफ़न ख़रीदा और येशु को क्रूस से उतारा। उसने उन्‍हें कफ़न में लपेट कर चट्टान में खोदी हुई कबर में रख दिया और कबर के द्वार पर एक पत्‍थर लुढ़का कर लगा दिया। मरियम मगदलेनी और योसेस की माता मरियम यह देख रही थीं कि येशु कहाँ रखे गये हैं।

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