मारकुस 14:32-64

मारकुस 14:32-64 HINCLBSI

वे गतसमनी नामक स्‍थान में आए। येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “तुम लोग यहाँ बैठे रहो। मैं तब तक प्रार्थना करूँगा।” वह पतरस, याकूब और योहन को अपने साथ ले गये। वह व्‍यथित तथा व्‍याकुल होने लगे और उनसे बोले, “मैं अत्‍यन्‍त व्‍याकुल हूँ मानो मेरे प्राण निकल रहे हों! तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।” वह कुछ आगे बढ़े और भूमि पर मुँह के बल गिर कर यह प्रार्थना करने लगे कि यदि संभव हो, तो यह घड़ी उन से टल जाए। उन्‍होंने कहा, “अब्‍बा! पिता! तेरे लिए सब कुछ सम्‍भव है। यह प्‍याला मुझ से हटा ले; किन्‍तु मेरी इच्‍छा नहीं, तेरी इच्‍छा पूरी हो।” येशु अपने शिष्‍यों के पास गये और उन्‍हें सोया हुआ देख कर पतरस से बोले, “सिमोन! सोते हो? तुम घण्‍टे भर भी नहीं जाग सके? तुम सब जागते रहो और प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्‍मा तो तत्‍पर है, परन्‍तु शरीर दुर्बल।” उन्‍होंने फिर जा कर उन्‍हीं शब्‍दों को दुहराते हुए प्रार्थना की। लौटने पर उन्‍होंने अपने शिष्‍यों को फिर सोया हुआ पाया, क्‍योंकि उनकी आँखें बहुत भारी हो रही थीं। वे नहीं जानते थे कि क्‍या उत्तर दें। येशु जब तीसरी बार अपने शिष्‍यों के पास आए, तो उन्‍होंने उन से कहा, “अब तक सो रहे हो? अब तक आराम कर रहे हो? बस! बहुत हुआ! वह घड़ी आ गयी है। देखो! मानव-पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जा रहा है। उठो! हम चलें। देखो, मुझे पकड़वाने वाला निकट आ गया है।” येशु यह कह ही रहे थे कि बारहों में से एक, यूदस [यहूदा] आ गया। उसके साथ तलवारें और लठियाँ लिये एक भीड़ थी, जिसे महापुरोहितों, शास्‍त्रियों और धर्मवृद्धों ने भेजा था। पकड़वाने वाले ने उन्‍हें यह चिह्‍न दिया था, “मैं जिसका चुम्‍बन करूँगा, वही है। उसे पकड़ लेना और सावधानी से ले जाना।” जैसे ही यूदस [यहूदा] आया, वह तुरन्‍त येशु के पास गया और कहा, “गुरुवर!” और उनका चुम्‍बन किया। तब लोगों ने येशु पर हाथ डाले और उन्‍हें गिरफ्‍तार कर लिया। इस पर पास खड़े शिष्‍यों में से एक ने अपनी तलवार खींच ली और उसे प्रधान महापुरोहित के सेवक पर चला कर उसका कान उड़ा दिया। येशु ने भीड़ से कहा, “क्‍या तुम लोग मुझे डाकू समझते हो, जो तलवारें और लाठियाँ ले कर मुझे पकड़ने आए हो? मैं प्रतिदिन तुम्‍हारे साथ था, मन्‍दिर में शिक्षा दिया करता था, फिर भी तुम ने मुझे गिरफ्‍तार नहीं किया। खैर, धर्मग्रन्‍थ में जो लिखा है, वह पूरा हो जाए।” तब सब शिष्‍य येशु को छोड़ कर भाग गये। एक युवक, अपने नंगे बदन पर मलमल की चादर ओढ़े येशु के पीछे हो लिया। किन्‍तु जब भीड़ ने उसे पकड़ा, तो वह चादर छोड़ कर नंगा ही भाग गया। वे येशु को प्रधान महापुरोहित के यहाँ ले गये। सब महापुरोहित, धर्मवृद्ध और शास्‍त्री वहाँ एकत्र हुए थे। येशु से कुछ दूरी रखते हुए पतरस उनके पीछे-पीछे प्रधान महापुरोहित के भवन के आंगन तक गया था और वहाँ पहरेदारों के साथ बैठ कर आग ताप रहा था। महापुरोहित और सारी धर्ममहासभा येशु को मरवा डालने के उद्देश्‍य से उनके विरुद्ध गवाही खोज रही थी, परन्‍तु वह मिली नहीं। बहुत-से लोगों ने तो उनके विरुद्ध झूठी गवाही दी, किन्‍तु उनके बयान मेल नहीं खाते थे। तब कुछ लोग उठे और उन्‍होंने येशु के विरुद्ध यह झूठी गवाही दी, “हमने इस व्यक्‍ति को ऐसा कहते सुना है : ‘मैं हाथ का बनाया हुआ यह मन्‍दिर ढा दूँगा और तीन दिन में दूसरा खड़ा कर दूँगा, जो हाथ का बनाया हुआ नहीं होगा।’ ” किन्‍तु इसके विषय में भी उनके बयान मेल नहीं खाये थे। तब प्रधान महापुरोहित ने सभा के बीच में खड़े होकर येशु ने पूछा, “ये लोग तुम्‍हारे विरुद्ध जो गवाही दे रहे हैं, क्‍या इसका कोई उत्तर तुम्‍हारे पास नहीं है?” परन्‍तु येशु चुप रहे। उन्‍होंने कोई उत्तर नहीं दिया। इसके बाद प्रधान महापुरोहित ने येशु से पूछा, “क्‍या तुम परमस्‍तुत्‍य के पुत्र मसीह हो?” येशु ने उत्तर दिया “मैं हूँ। और आप लोग मानव-पुत्र को सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर की दाहिनी ओर विराजमान और आकाश के बादलों के साथ आता हुआ देखेंगे।” इस पर प्रधान महापुरोहित ने अपने कुरते फाड़ कर कहा, “अब हमें गवाहों की जरूरत ही क्‍या है? आप लोगों ने स्‍वयं ईश-निन्‍दा सुनी है। आप लोगों का क्‍या विचार है?” सब का निर्णय यह हुआ कि येशु प्राणदण्‍ड के योग्‍य हैं।